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उत्कृष्ट शिक्षक की संघर्ष की गाथा

उत्कृष्ट शिक्षक की संघर्ष की गाथा

नाम - लक्ष्मी कान्त स्वामी 

पद  - अध्यापक 

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय लादूवास

विकासखंड - नारायणपुर जिला - कोटपूतली - बहरोड़ राजस्थान।



"शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिससे आप दुनिया बदल सकते हैं ।"यह नेल्सन मंडेला की प्रेरक पंक्तियां हैं। इन पंक्तियों से स्पष्ट होता है कि व्यक्ति के जीवन में शिक्षा का महत्व बहुत ही अधिक है। किसी ने ठीक ही कहा है कि "शिक्षा वह शेरनी का दूध है, जो जितना पिएगा उतना ही दहाड़ेगा" और इस शिक्षा की जिम्मेदारी एक शिक्षक के कंधों पर होती है ।शिक्षक अपने विद्यार्थियों को विषयगत ज्ञान देने के साथ-साथ उनमें नैतिक मूल्यों व चारित्रिक गुणों का भी सृजन करता है। अच्छे संस्कारों का बीजारोपण भी एक शिक्षक द्वारा किया जाता है। शिक्षक बालक के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास करता है ।विद्यार्थियों में रचनात्मकता विकसित करना तथा उसकी छुपी हुई प्रतिभा को निखार कर उसमें कौशलों का संचार करना भी एक शिक्षक का प्रमुख दायित्व होता है। शिक्षक विद्यार्थी को एक जिम्मेदार नागरिक बनाकर उसे निरंतर सीखते रहने की प्रेरणा देता है। शिक्षक ही है जो बच्चे के वर्तमान को संवारता है तथा उज्जवल भविष्य को बनाने का प्रयास करता है। शिक्षक के कंधों पर एक विद्यार्थी के भविष्य को संवारने की ही नहीं अपितु उसे जिम्मेदार नागरिक बनाने की जिम्मेदारी भी होती है। इन्हीं सपनों को साकार करने के लिए मेरी यानी लक्ष्मी कान्त स्वामी की प्रथम नियुक्ति 25 मार्च 2015 को राजस्थान के अलवर जिले के रामगढ़ विकासखंड के एक प्राथमिक विद्यालय राजकीय प्राथमिक विद्यालय हरिजन बस्ती खिलौरा में एक सरकारी शिक्षक के पद पर हुई ।पूर्व में देखे गए सपनों के अनुसार मैंने विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा व संस्कार देने का प्रण किया। मैंने कार्यग्रहण के साथ ही यह प्रण लिया कि मैं मेरे संपूर्ण ज्ञान का प्रयोग मैं अपने विद्यार्थियों के लिए करूंगा तथा उनमें अच्छे संस्कारों का बीजारोपण कर उन्हें एक अच्छा नागरिक बनाने का प्रयास करूंगा ।जिस समय मेरी विद्यालय में नियुक्ति हुई उस समय विद्यालय की स्थितियां ज्यादा अच्छी नहीं थी ।विद्यालय के विद्यार्थियों में स्वच्छता तथा अनुशासन का अभाव था। साथ ही विद्यालय की जो साफ सफाई और व्यवस्थाएं थी वह भी दूरस्त नहीं थी ।सर्वप्रथम मैंने हमारे सभी अध्यापक साथियों से बातचीत करके वहां की स्थितियों को जाना तथा उन विद्यार्थियों को प्रार्थना स्थलीय कार्यक्रम के दौरान स्वच्छता का पाठ पढ़ाया और उनको नियमित रूप से विद्यालय में स्वच्छ तरीके से आने के लिए प्रेरित किया।साथ ही जो विद्यार्थी साफ - स्वच्छ आएगा उसे इनाम देने की घोषणा भी की गई ।जिससे विद्यार्थियों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता आई और वे रोजाना नहा - धोकर विद्यालय में साफ स्वच्छ बनकर के आने लगे ।साथी विद्यालय में उपस्थित नामांकन के अनुरूप आधी ही थी।मैंने वहां के गांव की स्थिति को जाना और समुदाय के लोगों से मैं मिलना जुलना शुरू किया और उनकी मीटिंग बुला करके उनसे "शिक्षा कितनी जरूरी है" इसको समझाया और साथ ही जो बालक अनियमित थे उनके घर जाकर  उनके माता-पिताओं से बातचीत की और उन्हें नियमित रूप से विद्यालय आने हेतु प्रेरित किया जिससे विद्यार्थियों की उपस्थिति लगभग शत - प्रतिशत होने लगी। विद्यार्थियों को नवाचारों के माध्यम से शिक्षण कार्य करवाया गया और उनमें लेखन क्षमता तथा स्वच्छ लेख के महत्व को समझाते हुए विद्यार्थियों के लेखन पर विशेष ध्यान दिया गया । साथ ही विद्यार्थियों में वार्तालाप करने और अपने से बड़ों के आदर करने के लिए उनको प्रेरित किया और उनको यह बताया कि हमें अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए।


भौतिक विकास में योगदान


विद्यालय के भौतिक विकास के सहयोग के लिए मैंने ग्राम वासियों को प्रेरित किया और विद्यालय में राष्ट्रीय पर्वों को बड़े धूमधाम से मनाया जिससे कि विद्यालय के विकास के लिए ग्राम वासियों ने बढ़ चढ़कर सहयोग प्रदान किया। साथी उस विद्यालय में गैर सरकारी संगठन जो कार्य करता था उसके पदाधिकारी से बातचीत करके विद्यालय के संवर्धन एवं भौतिक विकास के लिए जिला कलेक्टर महोदय अलवर के द्वारा ₹30000 का चेक प्राप्त हुआ और साथ ही हमने ग्राम वासियों से अध्यापकों के साथ मिलकर के लगभग ₹30000 और एकत्रित किए जिससे विद्यालय के सौंदर्यीकरण तथा भौतिक विकास में काम लिया गया। लगभग तीन 3 वर्षों की सेवा उपरांत मेरा स्थानांतरण अलवर जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लादूवास पंचायत समिति थानागाजी में हुआ। वर्तमान में यह विद्यालय क्रमोन्नत होकर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय लादूवास ब्लॉक नारायणपुर जिला कोटपूतली बहरोड़ के नाम से सुशोभित है।मैंने अपनी प्राथमिक शिक्षा इसी विद्यालय में प्राप्त की थी। इसलिए यह विद्यालय मेरे लिए अधिक कार्य करने की प्रेरणा देने वाला था । मैंने सर्वप्रथम यहां की शैक्षिक व सह शैक्षिक गतिविधियों तथा सामुदायिक गतिविधियों की जानकारी ली और प्रत्येक घर में संपर्क कर विद्यालय में अधिक से अधिक विद्यार्थियों को प्रवेश हेतु पर प्रेरित किया जिसका परिणाम यह हुआ कि विद्यालय का नामांकन 150 से बढ़कर 200 से अधिक हो गया। विद्यार्थियों के साथ नवाचारों के माध्यम से शिक्षा देने का कार्य, ग्राम वासियों को प्रेरित कर विद्यालय से जोड़ने तथा समय-समय पर विद्यालय में आकर विद्यार्थियों की शैक्षिक स्थितियों व सह शैक्षिक गतिविधियों से रूबरू होने के लिए प्रेरित किया विद्यालय के भौतिक विकास में सहयोग के लिए ग्राम वासियों से मदद के लिए गुहार लगाई । साथ ही मैंने स्वयं ने भी इस विद्यालय के भौतिक विकास ऐसा है हेतु नगद राशि तथा सामग्री प्रदान की । इस विद्यालय में पर्यावरण संरक्षण हेतु मैंने विशेष कार्य किया विद्यालय में भामाशाहों की मदद से वृक्षारोपण का कार्य करवाया गया और ग्रीष्मकालीन व शीतकालीन अवकाशों के दौरान नियमित रूप से उन पेड़ पौधों में पानी लगाने तथा उनकी देखरेख करने का कार्य किया गया, जो आज विद्यालय की हरियाली को दर्शाते हैं। विभिन्न भामाशाहों की मदद से विद्यालय के लिए भौतिक संसाधन जुटाए गए।मेरे द्वारा विद्यालय के विद्यार्थियों को नवाचारों के माध्यम से शिक्षा देने का कार्य किया गया ।विद्यार्थियों की शत प्रतिशत उपस्थिति के लिए घर वालों से बातचीत कर नियमित आने के लिए प्रेरित किया ।इसी दौरान मुझे अपने उल्लेखनीय कार्यों के लिए राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण अवार्ड 2025 से गांधीनगर गुजरात में नवाजा गया साथ ही भव्या फाउंडेशन जयपुर के द्वारा उल्लेखनीय कार्य हेतु मुझे भारत श्री सम्मान - 2025 प्राप्त हुआ । छत्तीसगढ़ राज्य के राष्ट्रीय नवाचारी गतिविधियां समूह द्वारा मुझे श्रेष्ठ शिक्षक का सम्मान भी प्राप्त हुआ। शिक्षा सागर फाउंडेशन के द्वारा भी मुझे सम्मानित किया गया । पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा ,समाज सेवा में अच्छा कार्य करने के लिए मुझे स्थानीय स्तर पर भी सम्मानित किया गया। विद्यार्थियों को शिक्षण सहायक सामग्री निर्माण कर उसके माध्यम से रोचक तरीके से पढ़ाने तथा विद्यार्थियों में सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन वी पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करने का कार्य किया जाता है। साथ ही मेरे द्वारा बीएलओ का दायित्व भी निभाया जा रहा है ।जिसके लिए मैंने सभी मतदाताओं को समय-समय पर मतदान हेतु जागरूक किया। जिससे कि यह प्रभाव रहा कि पूर्व के चुनावों की बजाय  मेरे बीएलओ कार्यकाल के दौरान चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ गया। मेरे द्वारा पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक कुरीतियां निर्मूलन तथा शिक्षा के महत्व पर विभिन्न स्वरचित रचनाएं लिखी गई हैं जो विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। शिक्षा के क्षेत्र में क्रियात्मक शोध के माध्यम से शैक्षणिक स्तर संवर्धन का कार्य किया गया है। साथ ही मेरे द्वारा दक्ष प्रशिक्षक की भूमिका के रूप में भी कार्य किया गया है । एक शोधकर्ता के रूप में सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं  पर राज्य स्तरीय सर्वे शोध कार्य भी किया गया है।

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3 Comments

  1. बहुत सुंदर पोस्ट

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