40 वर्षो से निशुल्क शिक्षा दे रहे पुजारी सर
आज मेरी कहानी एक ऐसे व्यक्ति कि हैं जो लगातार 38 सालों से सरकारी स्कूल के बच्चों को नि: शुल्क शिक्षादान देते आ रहे है | जिनके अदम्य संकल्प को जांजगीर चाम्पा के तत्कालीन कलेक्टर व वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन के कद्दावर केबिनेट मंत्री माननीय ओ.पी. चौधरी भी सलाम कर चुके है |
आज मेरी कहानी के नायक है बलौदा विकासखंड अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत कमरीद निवासी रामकृष्ण वैष्णव (पुजारी महाराज) उम्र 60 वर्ष जी की जो बिना किसी शुल्क के अपने ग्राम के शासकीय माध्यमिक विद्यालय के बच्चों को लगातार 38 वर्षों से संस्कृत की शिक्षा दे रहे है | आज शिक्षा का व्यवसायीकरण हो चूका है | गली मोहल्ले और टपरे में ट्यूशन की कक्षाएं बेधड़क चल रही है | पालको का जेब हल्का किया जा रहा है | ऐसे में अपने जमाने के 11वीं पास रामकृष्ण वैष्णव (पुजारी महाराज) इस संकल्प के साथ कि “जब तक शरीर है तब तक शिक्षा का दान करना है | ” को सार्थक करते हुए निस्वार्थ भाव से शिक्षा दान करते आ रहे है | उनके द्वारा पढ़ाए गए बच्चे आज स्थापित डॉक्टर, इंजीनियर, लोको पायलट, शिक्षक, जनप्रतिनिधि सहित अन्य पदों पर पदस्थ भी है ।
रामकृष्ण वैष्णव (पुजारी महाराज) जी न सिर्फ शिक्षा दान करते है बल्कि वे योग के भी प्रचारक व साधक है | वे आज भी 60 वर्ष की आयु में सुबह 3 बजे उठकर नियमित रूप से योगासन करते हैं | अपने छात्रों को भी नियमित रूप से योग करने की सलाह देते हैं और किसी भी मौसमी बिमारियों या छोटे मोटे बिमारियों में दवा सेवन की जरूरत महसूस नहीं करते है |
आप ग्रामीणों के लिए विश्वसनीय परामर्शदाता भी है | रामकृष्ण वैष्णव के निस्वार्थ शिक्षा भावनाओं को देखते हुए ग्रामीणजन आपका सम्मान करते हैं | गांव के अधिकांश छोटे बड़े एवं घरेलू झगड़ों का निपटारा भी आप बेहद सरल तरीके से करते हैं | गांव के लोग भी आपकी बातों को सहजता से ही स्वीकार कर लेते हैं | आप शिक्षा दान के साथ साथ प्रेम और भाईचारा का भी अलख जगा रहे है | पुजारी महराज जी को अपने इस कार्य के लिए कई सारे मंचो से सम्मान मिल चुका है । लेकिन वे बच्चों और ग्रामीणों से मिलने वाले मान सम्मान को अपना अमूल्य धरोहर मानते है ।
शासकीय विद्यालय के शिक्षक दिलीप कश्यप एवं सुरेश कुमार मधुकर का भी कहना है कि पुजारी सर संस्कृत विषय की पढ़ाई करने के साथ ही बच्चों को नैतिक शिक्षा का ज्ञान भी देते हैं इससे न केवल छात्र सीखते हैं बल्कि उनसे स्कूल स्टाफ को भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
कहानी - लोकेश कुमार वर्मा
0 Comments