Header AD

Ticker

6/recent/ticker-posts

नाव और व्यापार

                        नाव और व्यापार

           



एक समय की बात है, एक व्यापारी व्यापार करने के उद्देश्य से शहर से गाँव गया । गाँव के बाहर एक बड़ी सी नदी बह रही थी, जिसे नाव के सहारे कम समय में पार कर गाँव पहुँच सकते थे । सड़क के रास्ते गाड़ी की मदद से जाने पर भी गाँव पहुँचने में कई घंटे लगते थे। व्यापारी ने समय बचाने के लिए नाव का सहारा लिया । कुछ दूर चलने के बाद व्यापारी ने नाव वाले से कहा- मैं आपके गाँव में पानी का फैक्टरी (कारखाना) लगाने आया हूँ । नाविक ने पूछा- यह क्या होता है साहब, हमें तो पता ही नहींं? व्यापारी ने पूछा- क्या कभी शहर नहीं गए हो? नाविक ने बड़े भोलेपन से कहा- मैं  कभी शहर नहीं गया हूँ साहब । इस पर व्यापारी ने उसका खूब मजाक उड़ाया, नाविक चुपचाप सुनता रहा और नदी पार ले जाने   के लिए लगातार नाव खेता रहा । 

सहसा आसमान में बादलों की घटा छा गई , घोर गर्जन के साथ पानी बरसने लगा, नदी में ऊँची लहरें उठने लगी । कुछ समय पश्चात नदी में तेजी से जल स्तर बढ़ने से नाव अनियंत्रित होकर एक बड़े चट्टान से जोरों से टकरा गया, जिससे नाव में छेद हो गया और पानी भर जाने से नाव डूबने लगा । नाविक ने व्यापारी से पूछा- साहब आपको तैरना तो आता है न ? व्यापारी ने बताया कि उसे तैरना नहीं आता । नाविक नाव से कूद गया और धैर्यपूर्वक चुपचाप  व्यापारी को अपनी पीठ पर लादकर तैरते हुए नदी पार कर किनारे पहुँचाया । अब नाविक और व्यापारी दोनों सुरक्षित थे, व्यापारी की आँखों में नाविक के प्रति कृतज्ञता के साथ अपनी कही हुई बातों के लिए शर्मिंदगी के भाव थे ।


*शिक्षा- हमें किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए और उसका मजाक नहीं उड़ाने चाहिए ।*


            पुष्पेन्द्र कुमार कश्यप, सक्ती (छत्तीसगढ़)

Post a Comment

0 Comments