विद्यालय में अंग्रेजी भाषा के डर को समाप्त कर अंग्रेजी भाषा को प्रोत्साहन देने वाली शिक्षिका
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की अंग्रेजी में पिछड़ापन एक आम धारणा बन चुकी है। मैं भी इस चुनौती से जूझ रही थी। मेरे तमाम प्रयासों के बावजूद, बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने में मनचाहा परिणाम नहीं मिल पा रहा था। फिर एक दिन शिक्षक वाट्सप्प ग्रुप में मुझे "वर्ड पावर चैंपियनशिप" का लिंक मिला। एक साथी शिक्षक के प्रोत्साहन से मैंने खुद को रजिस्टर किया और यहीं से मेरी और मेरे विद्यार्थियों की अंग्रेजी यात्रा ने एक नया मोड़ लिया।
शब्द पावर चैंपियनशिप के जरिए मुझे अंग्रेजी सिखाने के बेहद आसान और प्रभावी ट्रिक्स मिले। मैंने उन्हें नियमित रूप से फॉलो करना शुरू किया और वही तकनीक को अपने कक्षा के बच्चों को भी सिखाई। परिणाम चौंकाने वाले थे – जो बच्चे पहले अंग्रेजी से डरते थे, वही अब अंग्रेजी को अपना पसंदीदा विषय मानने लगे।
बच्चे अब न केवल पाठ्यपुस्तकों को, बल्कि लाइब्रेरी की कहानियों और अन्य किताबों को भी आसानी से पढ़ लेते हैं। हर महीने होने वाली "मेगा क्विज़" में भाग लेकर उनके आत्मविश्वास और ज्ञान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
इस पूरी प्रक्रिया का सबसे गौरवपूर्ण क्षण तब आया जब मेरी कक्षा की छात्रा नैंसी जांगड़े ने रायपुर जिले से चयनित होकर कक्षा 5वीं के लिए स्टेट लेवल वर्ड पावर चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया। आगे बढ़ते हुए, उसने मुंबई में 12 राज्यों के बीच आयोजित प्रतियोगिता में सातवां स्थान प्राप्त किया। यह हम सभी के लिए अत्यंत गर्व की बात थी।कक्षा तीन की बच्ची जासमीन परवीन रायपुर जिले से राज्य स्तरीय प्रतियोगिता मैं चयनित हुई ।मैंने इस प्रक्रिया को पिछले वर्ष भी जारी रखा जिसमे बच्चे अब छोटे-छोटे वाक्य बना लेते हैं, सरल बातचीत कर पाते हैं और मैं उनके कन्वर्सेशन के वीडियो बनाकर माता-पिता के व्हाट्सएप ग्रुप में साझा करती हूँ। कई अभिभावक कहते हैं, "हमें विश्वास ही नहीं होता कि हमारे बच्चे इतना अच्छा इंग्लिश बोल सकते हैं।" कुछ तो यह भी कहते हैं कि जब उनके बच्चे परिवार के अन्य सदस्यों के सामने अंग्रेजी पढ़ते हैं, तो सब दंग रह जाते हैं कि ये बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं!इस तरह, मैंने अपने विद्यार्थियों के मन से अंग्रेजी का भय पूरी तरह समाप्त कर दिया। इस वर्ष भी यह प्रक्रिया जारी है – बच्चे कठिन से कठिन शब्दों को आत्मविश्वास से पढ़ना सीख रहे हैं।
मैं सभी शिक्षकों से निवेदन करती हूँ कि वे इस नवाचार को अपनाएं और सरकारी विद्यालयों के बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाएं। अंग्रेजी सीखना वास्तव में बहुत आसान है – यदि सही मार्गदर्शन और संसाधन हों।
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