शिक्षक के असाधारण कार्यों में अपने विद्यालय के बच्चों को छत्तीसगढ़ बोर्ड परीक्षा में टॉप टेन में स्थान दिलाया
नाम -श्रीमती संगीता सिंह
पद- व्याख्याता (एल. बी) हिंदी साहित्य
शाला - शास. उच्च. माध्य. विद्यालय दशरंगपुर,मुंगेली (छ. ग.)
नियुक्ति तिथि -31.08.1998
मो. न.7509434331
मै अपने कार्यभार दिनांक 11.09.1998से29.09.2009तक विज्ञान विषय का अध्यापन कार्य किया उसके पश्चात दिनांक 29.09.2009से अभी तक हिंदी साहित्य का अध्यापन का कार्य कर रही हूं ।इन 27 वर्षो में मैने अपने बच्चों (छात्रों) के लिए बहुत मेहनत से अध्यापन का कार्य किया उनके मैने पुस्तकी ज्ञान के साथ व्यावहारिक ज्ञान , सामाजिक ज्ञान भी प्रदान किया जिससे बच्चे एक सर्वश्रेष्ठ नागरिक बन सके।आज मेरे पढ़ाये बच्चे उच्च पदों पुलिस, teacher, medical field , नेता आदि जैसे उच्च पदों पर पदस्थ हैआज मुझे ये सब बाते लिखते हुए भी बहुत गर्व महसूस हो रहा है।बच्चों को मैने हमेशा अपने बच्चों की तरह ही शिक्षा प्रदान कीजब बच्चे स्कूल में रहते है तब मैं उन्हें उनके सृजनात्मक गुणों का विकास कार्य पर ज्यादा ध्यान देती हूं पाठ्यक्रम को छोटी छोटी कहानियों और प्रेरक प्रसंग के माध्यम से प्रस्तुत करती हूँ अनुभव आधारित शिक्षण मेरी पहली प्राथमिकता रहती है उसके पश्चात कर के सीखना पर जोर देती हूं स्थानीय गतिविधियों पर भी सृजन कार्य करवाती हु जैसे, मिट्टी से कलाकृति निर्माण ,धान की बालियों से झालर निर्माण कबाड़ से जुगाड, मास्क निर्माण आदि ।स्कूल में 10 वी ,12 वी बोर्ड क्लास का अध्यापन कार्य करती हु जिसमें 2022-2023में मेरी एक छात्रा ने cg टॉपर लिस्ट में कु. मीनाक्षी साहू ने छठवां स्थान हासिल किया था। मुझे मेरे कार्यों के लिए कुछ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था जिसमें नवाचारी गतिविधियों समूह द्वारा नवाचारी शिक्षक सम्मान, शिक्षा साहित्य अकादमी द्वारा शिक्षा रत्न सम्मान, प्रकृति शिक्षण विज्ञान यात्रा द्वारा सम्मान सरस्वती पुत्र तथा अनुभव आधारित शिक्षण पढई तुहर द्वार में हमारे नायक में स्थान हासिल हैं ।मेरे द्वारा करोना काल के समय ऑनलाइन क्लास लिया गया जिसमें करीब 4396 छात्र लाभान्वित हुए ।साथ ही मेरे द्वारा यूट्यूब चैनल teacher sangita singh के नाम से चलाया जाता है जिसमें मैं हिंदी व्याकरण को छोटे छोटे भाग में वीडियो डालती हु जिससे बच्चे समय पर इससे खुद अध्ययन कर सके।एक शिक्षक के लिए अपने कार्यों के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। मै इतना ही कहना चाहूंगी जब तक जिंदा रहूंगी तब तक अपने बच्चों के समान मै अध्ययन अध्यापन का कार्य करती रहूंगी।
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