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नवाचार ने बदल दी स्कूल की तस्वीर

नवाचार ने बदल दी स्कूल की तस्वीर




          श्रीमती भावना सिंह

          91 84629 56111

शासकीय प्रयोगिक प्राथमिक शालाकेदारपुर, 

अंबिकापुर जिला सरगुजा, छत्तीसगढ़


मेरा नाम भावना सिंह है मैं शासकीय प्रयोगिक प्राथमिक शाला केदारपुर अंबिकापुर में पढ़ती हूं मेरी नियुक्ति 2011 में गंगापुर खुर्द में अनुकंपा नियुक्ति पर हुई थी मैं अपने पति रमाशंकर सिंह के अधूरे काम को पूरा करना चाहती थी और उनका नाम रोशन करना चाहती थी लेकिन गंगापुर खुर्द स्कूल छोटा होने की वजह से मुझे हमेशा लगता है कि मैं क्या करूं, मुझे कुछ करना है लेकिन क्या करना है समझ में नहीं आता था, 15 अगस्त और 26 जनवरी के लिए कार्यक्रम प्रारंभकिया, लेकिन वहां के लोग मुझे रोकते थे क्योंकि वहां पर कोई कार्यक्रम नहीं होता था मैंने अपनी कक्षा में उसे कार्यक्रम को करवाने का निश्चय लिया मेरी मेहनत रंग लाई। हेड मास्टर सर ने मेरे बच्चों को कार्यक्रम पूरे गांव वालों के सामने करवाई जिस गांव के लोग बहुत खुश हुए उस दिन के बाद मैं वहां पर अब हर 15 अगस्त और 26 जनवरी पर कार्यक्रम होने लगा ये मेरी सफलता थी।

गंगापुर में अतिशेष होने पर मुझे शासकीय प्रयोगिक प्राथमिक शाला केदारपुर में आ गई यहां पर बच्चों को सीखने के लिए बहुत सारे कार्य मैंने किए, सबसे पहले मैंने अपने स्कूल में टी एल एम की प्रदर्शनी लगाई स्कूल पर मैंने टी एल एम प्रथम स्तर पर आया संकुल स्तर तथा ब्लॉक स्तर पर भी प्रथम आया। राज्यपाल हमारे प्रदर्शनी को देखने आए उसने हमारे प्रदर्शनी की भी सराहना की केदारपुर स्कूल में हम दो ही टीचर थे। जिसके कारण मुझे तीन चार कक्षा को एक साथ पढ़ना पड़ता था बच्चों की संख्या 200 थी जिसमें मुझे बहुत सारी दिक्कतें आती थी इस कारण मैं बच्चों को इंटरेस्ट पढ़ने के लिए नए-नए प्रयोग शुरू कर दिए बच्चे भी हमारा साथ देने लगे, मैंने बहुत सारे पाठ के खिलौने बनाए इस खिलौने से बच्चों को पढ़ना शुरू कर दिया और टी एल एम के माध्यम से बहुत सारी जल्दी सीखने लगे सभी टीएम कबाड़ से जुगाड़ से बनाए गए थे। बच्चे भी रुचि पूर्वक बनाने लगे और मैं स्कूल के बच्चे तथा अन्य स्कूलों के भी बच्चों को सिखाने लगी और पढ़ने में भी उन्हें बहुत आनंद आने लगा।

मैंने सरगुजा की कला गोदना आर्ट पर भी विशेष ध्यान दिया और हमारे स्कूल के बच्चे गोदना आर्ट बहुत अच्छे से बनाते हैं ये रोजगार का भी साधन है। गोदना कला सरगुजा सरगुजा में विलुप्त हो रही थी, जिससे बच्चों को उसे मे जोड़ना बहुत जरूरी था जिससे वह अपनी कला और संस्कृति सभी परिचित होने लगे, बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार से जोड़ने के लिए मैंने बहुत सारे कार्य किये, इसमें वेस्ट मटेरियल से सामान बनाना, राखी, मेहंदी, रंगोली, चित्रकला, टैटू, वर्ली आर्ट भी बच्चों को अपनी स्कूल में सीखने लगी, इस प्रकार से हमारे स्कूल के बच्चे बहुत आगे बढ़ने लगे और अपने कला की प्रदर्शनी लगने लगे, इस प्रकार हमारी मेहनत और बच्चों की मेहनत भी रंग लाने लगा हमारा स्कूल का नाम बहुत आगे बढ़ने लगा आज हमारी प्रदर्शनी को देखने के लिए सभी टीचर और समाज के लोग आते हैं।



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