शिक्षा ,समाज सेवा पर्यावरण संवर्धन के लिए समर्पित उत्कृष्ट शिक्षिका
राज्यपाल पुरस्कृत व्याख्याता
श्रीमती पुष्पा पुष्प
व्याख्याता अंग्रेजी
सेजस् अंडा दुर्ग
30/4/2025को सेवानिवृत
सेवा निवृत होने के बाद भी अपने कार्य में संपूर्ण समर्पण रहने वाली छत्तीसगढ़ की उत्कृष्ट शिक्षिका
बचपन से ही मैं कुशाग्र बुद्धि की थी, किसी भी विषय को एक बार सुनकर समझना मेरी खासियत है. ग्रामीण क्षेत्र (बालोद जिला) मे पली बढ़ी हुई हूँ. ग्राम में केवल ग्यारहवीं तक की शाला थी. वो भी काफी दूर था, उस समय लड़कियों को पढ़ाई के लिए बाहर भेजने मे परिवार सहमत नहीं होते थे. ग्राम पैरी गुंडरदेही के श्री राम उच्चतर माध्यमिक शाला में मैने सत्र 1980 में ग्यारहवीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया.
परीक्षा सेंटर जिला में ही होता था उस समय, उसके लिए भी परीक्षा तक बाहर रहना पड़ता था. मुझे अंग्रेजी विषय में विशेष योग्यता प्राप्त हुआ था. और शुरू से ही मुझे अंग्रेजी विषय अच्छा लगने लगा था. पढ़ने के 2 वर्ष बाद ही मेरी प्रथम नियुक्ति उप शिक्षक 150 रु प्रति माह में हुई थी. तत्पश्चात 1 वर्ष पश्चात सितंबर 1983 में बुनियादी प्रशिक्षण संस्थान बेमेतरा में प्रशिक्षण हेतु शासन ने भेजा.
जुलाई 1985 में प्रशिक्षण प्राप्त कर वापस आई और झलमला में सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत थी. सत्र 1994 में निज ग्राम में स्थानांतरण पर आई. मां पिताजी वृद्धावस्था में थे अतः उन्हें देखभाल की जरूरत थी. और फिर शिक्षा के कार्य के साथ ही बीए की परीक्षा घनश्याम दास कॉलेज बालोद से प्रथम श्रेणी तथा कॉलेज में दूसरे स्थान पर उत्तीर्ण हुई.
फिर मेरी इच्छा स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करने की हुई और परिवार तथा शैक्षणिक कार्य करते हुए मैंने हिंदी साहित्य में मास्टर डिग्री, अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री, राजनीतिक विज्ञान में मास्टर डिग्री, संस्कृत साहित्य में मास्टर डिग्री हासिल किया यह मेरी बहुत बड़ी उपलब्धि रही.
शिक्षा के क्षेत्र में 2006 में मेरा संकुल स्तर पर सांकरी पूर्व माध्यमिक शाला में समायोजन हुआ. चुकी वहां की शाला प्रोन्नत शाला थी और शिक्षक की कमी थी.
सत्र 2008 में मेरी पदोन्नति उच्च वर्ग शिक्षक के रूप में उसी स्कूल में सांकरी मिडिल स्कूल में हुआ. उस शाला में मैंने सबसे पहले वहां के बच्चों को अनुशासन सिखाया, स्वच्छता से रहने की सीख दिया. प्रार्थना में सूक्ति वाक्य का वाचन, समाचार पत्र का वाचन, करती थी. साथ ही प्रार्थना में राष्ट्रगान के साथ सर्व धर्म धर्म प्रार्थना जैसे तू ही राम है आदि को खुद गाकर बच्चों को सिखाती थी.
फिर शाला में बागवानी का कार्य किया. शाला हरे भरे पेड़ पौधों से सुसज्जित दिखने लगा. शाला प्रबंधन और ग्राम के लोग जब भी शाला आते तो शाला सुंदरता की देखने लगते दीवारों पर सूक्ति वाक्य तथा महान विभूतियों की जीवनी एवं उनकी फोटो बनवाई.
खेलकूद में शाला के बच्चे जिला स्तर तक जाते थे. कबड्डी मेरा प्रिय खेल था बच्चों के साथ कबड्डी खेल उन्हें सिखाती थी. सांस्कृतिक कार्यक्रम में तो ग्रामीण त्यौहार मनाते थे. राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त 26 जनवरी में ग्राम की साफ-सफाई देखते ही बनता था.
महिलाएं घर आंगन गोबर से लिखकर रंगोली सजाती थी और दिए जलाती थी. हर घर में ऐसा होता था. ग्रामीणों का, पंचायत का शाला प्रबंधन का एक विशेष सहयोग था.
सत्र 2011 में मेरी पदोन्नति प्रधान पाठक पद में हुई और मेरी पदोन्नति उसी शाला में हुई क्योंकि उच्च वर्ग शिक्षक होने के साथ ही प्रभारी थी. प्रधान पाठक बनने के बाद मैंने शाला का अहाता छोटा था उसे स्वयं के पैसों से ऊंचा कराया. शाला प्रबंधन के देखरेख में साथ ही प्रार्थना स्थल पर सरस्वती मंदिर बनवाया जन सहयोग एवं स्वयं से.
धीरे-धीरे नल जल योजना की शुरुआत भी किया और शाला प्रबंधन तथा ग्रामीणों की लगातार बैठक का सफलता मिली प्रार्थना स्थल पर फर्शीकरण, मध्यान भोजन शैड का निर्माण विधायक गुंडरदेही सम्मानीय राजेंद्र राय जी के सहयोग से कराया. ब्लॉक स्तरीय शाला प्रवेश भी कराया एवं साहित्यिक सांस्कृतिक बाल मेला आदि का आयोजन किया. योग की कक्षाएं तथा मार्च पास्ट प्रति शनिवार लेती थी.
इन सब उपलब्धियों और शैक्षणिक गुणवत्ता तथा शत प्रतिशत परीक्षा परिणाम के कारण ही 2015 में मेरा चयन राज्यपाल पुरस्कार के लिए हुआ.
स्वयं मंच संचालन करती थी बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना महिलाओं का सम्मान गरीबों की सेवा सबको समान समझना यह सब गुण मुझे उसी शाला में मिला.
शाला प्रबंधन की बैठक में प्रस्ताव पारित कर कंप्यूटर जिला शिक्षा अधिकारी से प्राप्त किया 3 नग कंप्यूटर है. शाला में बच्चे जमीन पर बैठते थे जिला शिक्षा अधिकारी बालोद से 100 नग टेबल बेंच शाला को मिला. इस पर शाला की भौतिक वातावरण में सुधार की.
जून 2017 में मेरी पदोन्नति व्याख्याता अंग्रेजी के पद पर शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला अंडा में हुआ. और मैं वर्तमान में यही पदस्थ हूं यहां इंग्लिश का अध्यापन कराती हूं.
बच्चों को यहां भी अनुशासन का पाठ पढ़ाई और शाला में व्यवहारिक नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया. बागवानी का कार्य बच्चों के साथ करती हूं, इको क्लब प्रभारी हूं तथा हर जयंती या राष्ट्रीय पर्व पर बच्चों से पौधारोपण कराती हूं.
नवाचारी हिंदी मुहावरा शरीर के अंगों से बनने वाले प्रयोग किया जैसे आंखों का तारा, A to Z तक small और capital letter को लिखने का नवाचार किया.
स्वच्छ भारत अभियान के तहत ग्राम की गलियों की सफाई नोनी टोली बनाकर बच्चों के साथ किया. नशा उन्मूलन हेतु रैली निकालकर समाज को जागरूकता का संदेश दिया. साहित्यिक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रभारी मुख्य कार्यालय में शैक्षणिक गतिविधियों के साथ इस पर भी संचालन करती हूं.
बाल दिवस गांधी जयंती, सुभाष जयंती, अंबेडकर जयंती लक्ष्मीबाई जयंती, शिक्षक दिवस, ज्योतिबा फुले जयंती आदि विशेष जयंती पर छात्रों को निबंध लेखन नारा लेखन पेंटिंग कविता लेखन रंगोली आदि का आयोजन शाला में कराती हूं. बालकों का भी विशेष सहयोग मिलता है.
कमजोर छात्रों का स्तर सुधारने के लिए उन्हें अलग समय देकर उनके स्तर में सुधार कराती हूं. शाला में योग प्रदर्शन भी कराती हूं. सरस मेला भिलाई में अंडा स्कूल की छात्राओं का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा.
ऊर्जा संरक्षण, इंधन बचाओ, पर्यावरण संरक्षण, जल बचाओ, नशा उन्मूलन आदि प्रतियोगिता में प्रतिवर्ष शाला में कराती हूं. तथा विजयी बच्चों को पुरस्कार भी वितरण होता है. हमारे शाला में करीब 1000 छात्र-छात्राएं हैं. जिनके कारण शाला का माहौल बड़ा अच्छा लगता है.
शैक्षणिक गतिविधियों के साथ में साहित्य लेखन में भी रुचि रखती हूं और मैं कविताएं लिखती हूं. वर्तमान कोरोना काल में मैंने अपनी कविताओं के माध्यम से जन जागरूकता का संदेश समाज में फैलाया है साथ ही जरूरतमंद लोगों को मैंने मास्क बनाकर वितरण किया.
गरीब असहाय निशक्त मजदूर वर्ग के लोगों को मैंने मास्क सैनिटाइजर आदि का वितरण किया. मजदूर दिवस के दिन मजदूरों को मैंने मास्क वितरण किया तथा कोरोना से बचने का उपाय बताया साथ उनका तिलक लगाकर आरती किया और उनका मुंह मीठा कराया.
गली मोहल्ले में सब्जी बेचने वाले, फल बेचने वाले लोगों को मास्क वितरण किया तथा उन्हें कोरोना से बचने के उपाय बताएं. इसके अलावा भी मैंने घर-घर जाकर के लोगों को अपनी कविता के माध्यम से, अपने पेंटिंग्स के माध्यम से कोरोना से बचाव का उपाय समझाया.
सफाई कर्मियों को स्वच्छता से रहने का संदेश दिया उन्हें मास्क वितरण किया और स्वयं उनके साथ गलियों की सफाई की स्वच्छ भारत अभियान के तहत भी मैं शाला की बालिकाओं के साथ ग्राम की सफाई की.
साक्षरता कार्यक्रम में मेरा विशेष योगदान है. स्वयं अपने अनपढ़ नाटक के माध्यम से मैंने लोगों में शिक्षा का अलख जगाया और दूर-दराज के गांव में मैंने शिक्षा का प्रचार प्रसार किया जिसके तहत मुझे कलेक्टर दुर्ग पीएस तोमर और पुखराज मारो से प्रशंसा पत्र प्राप्त हुआ साथ ही श्री दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री का प्रशंसा पत्र प्राप्त हुआ.
इन सब कार्यक्रम में मुझे प्रशांत पांडे जी बालोद के द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त हुआ जो कि वर्तमान में रायपुर में
रात को मैं अपनी टीम के साथ घर घर जाकर निरक्षर लोगों को अक्षर ज्ञान कराती थी. पद्म श्री शमशाद बेगम गुंडरदेही के साथ महिला सशक्तिकरण में अपनी सहभागिता दिया. जिसके लिए मैंने महिलाओं का खेलकूद का आयोजन स्कूल में करती थी और उन्हें मंच पर सम्मानित करती थी.
महिलाओं को ही मंच पर बैठा दी थी और बहुत सारे कार्यक्रम जैसे बिंदी लगाओ, रंगोली बनाओ प्रतियोगिता महिलाओं के लिए रखती थी. इसके अलावा भी बालिका शिक्षा पर मेरे खास रुचि रही है. बालिका शिक्षा में मैं मास्टर ट्रेनर के रूप में भी कार्य की हूं.
बालिकाओं के लिए मैं खेलकूद का विशेष आयोजन करवाती थी. साथ ही मैं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से भी जुड़ी हुई हूं. शाला के कमजोर बच्चों को मैं पुस्तक वितरण की हूं. शाला खोलने पर उनका तिलक लगाकर स्वागत करती थी. ग्राम की बेटियां जो पढ़ी नहीं थी उनका सर्वे की और उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित किया तथा सनतुल्यता परीक्षा में भी उन्हें बैठने का मार्गदर्शन किया.
छत्तीसगढ़ की संस्कृति को जन जन तक पहुंचाने के लिए मैंने 1 नवंबर राज्य स्थापना दिवस पर स्वयं छत्तीसगढ़ महतारी का परिधान पहनकर हाथों में धान की बाली और दीपक लेकर लोगों को संदेश दिया.
इसके अलावा छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्योहारों में भी मैंने महिलाओं को जोड़ रखा है जैसे हरितालिका व्रत, करवा चौथ, गणेश चतुर्थी आदि में साथ में मंदिर में जाकर भजन कीर्तन करते थे.
प्राचीन सभ्यता में नदी का स्नान पवित्र माना गया है. जिसके लिए मैंने प्रातः प्रातः गली की महिलाओं को लेकर शिवनाथ नदी पर स्नान करने के लिए उन्हें प्रेरित किया और मैं उनके साथ स्वयं गई.
इस प्रकार मैं एक शिक्षिका हूं और ऐसा कहा गया है कि शिक्षक समाज और राष्ट्र का निर्माता होता है इस बात को मैं बिल्कुल अक्षर से पालन की और की और शिक्षक के कार्य के अलावा मैंने सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक और साहित्यिक और क्रीडा के क्षेत्र में मैंने पूर्ण सहयोग दिया.
निर्धन कन्या विवाह गुंडरदेही में मैंने 2 जोड़ों का विवाह का पंजीयन कराया. समाज सेवा मेरी पहली प्राथमिकता होती है और जहां समाज को मेरी आवश्यकता वहां निश्चित में अपनी सेवा देती हूं.
2 साल से कोरोना के कारण पढ़ाई बंद सी है जिसमें मैं ऑनलाइन क्लास मोहल्ला क्लास लेती हूं. इसके अलावा भी पढ़ाई तुंहर द्वार योजना से जुड़ी हुई हूं.
शाला के बच्चों को मैं कबाड़ से जुगाड़ ग्रुप बनाए हैं जिसमें बच्चों को बेकार की वस्तुओं से उपयोगी वस्तु बनाने की सीख दे रहे हैं जैसे माचिस के डिब्बे से खिलौना, कार्डबोर्ड से बैग बेकार डिब्बों से पेनिस स्टैंड आदि बनाना बताई स्वयं उनके साथ बैठ कर के बच्चों को बताइए.
शाला मैं रक्षाबंधन का पर्व भी बच्चों के बीच बनाती हूं. इस तरह छात्र हित में मेरा हमेशा प्रयास रहता है मेरी कक्षा का परीक्षा परिणाम शत प्रतिशत रहता है.

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