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उत्कृष्ट शिक्षिका की संघर्ष गाथा अपनी जुबानी - नवाचार ने बदल डाली स्कूल की तस्वीर

 उत्कृष्ट शिक्षिका की संघर्ष गाथा अपनी जुबानी - नवाचार ने बदल डाली स्कूल की तस्वीर





मेरी सफलता की कहानी

मैं श्रीमती रूपा चौहान (प्रधानपाठक) प्राथमिक शाला बेला चुवां में पदस्थ हूँ। मैं यहाँ 05/04/2023 से पदस्थ हूँ। लगभग दो साल पूर्ण हो चूका है। हमारी शाळा प्राथमिक शाला बेला चुचों को इस दो साल में बेहतर -बनाने का प्रयास किया गया और अभीभी प्रयास जारी है मेरे द्वारा अपनी शाला को बेहतर बनाने के लिए नित प्रयास किया गया :-


शाला सुधार :- गांव के पालकों एवं उपसरपंच के सहायता से शाला प्रांगण में नशीले पदार्थों के सेवन तथा उनके जीजों को मैदान में फैलने पर रोकथाम करवाया गया। स्कूल में नशा पीकर आने वाले व्यक्ति के समिति और -पालकों की सहयोग से दण्ड रखा गया है।कच्चों की दाखिला में सुधार:- पहले पढ़ाई ठीक से न होने के कारण बच्चे स्कूल में दाखिला कम ले रहे थे -अपनी नजदीक के गांव के स्कूल में दाखिला किये जाते थे अब शौव के सभी बच्चों को अपनी प्राथमिक शाला बैलाचुरो में 100% दाखिल पूर्ण कर लिया गया है पालकों को संपर्क करके और स्कूल पढ़ाई स्तर को बढ़ाकर सभी बच्चों की दाखिल अब हमारी शाला में हो रही है। स्कूल की साफ-सफाई एवं लिपाई पोताई में सुधार-मेरे आँने से पहले स्कूल की ठीक ढंग से साफ-सफाई-एवं लिपाई पोताई ठीक ढंग से नहीं हो रहा था मैंने अपनी शाला की सफाई और लिपाई पोताई में बहुत प्रयास किया सभी कक्षाओं की अच्छे से लिपाई करवाया गया और सभी खिड़की दखाजे रोशनदान पर पॉलिस लगाया गया।-


छत की पानी निकाशी में सुधारः-

बरसात का पानी हत के पाइप से नहीं निकलता था और छत में जमा होकर सिपेज होने लगा था जिसने मेरे प्रयास द्वारा अपनी लागत से नया पाइप लाकर दालान जगह पर पाइप लबानाया गया और शालोभवन और की छूत को सुरक्षित किया गया। 

पालक संपर्क करके बच्चों की उपस्थिति में सुधार:-

मेरे द्वारा हर महीना पालक संपर्क किया जाता है जो बच्चा रोजाना स्कूल नहीं आ रहा है उसके पालकों से उनके बर याः मोबाइल के माध्यम से संपर्क करके बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रयास किया जाता है।

मध्यान्ह भोजन में सुधार:-

रसोइया की सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है खाना मैं सुधार लाया गया हरा सब्जी का समावेश करवाया जाता है। कुछ खास दिन पर बच्चों के लिए अच्छा भोजन या पकवान बनवाई जाती है। बच्चों की बैठने की व्यवस्था में बहुत खराब थी जिससे अपनी प्रयास से सभी बच्चों को व्यवस्थित बिठाकर भोजन मंत्र उच्चारण एवं हाथ की धुलाई करवाकर भोजने खिलवाया जाता है।

शाला प्रबंधन विकास समिति की बैठक लेकर शाला में सहयोग एवं सुधार पर चर्चा -शाला सुधार की प्रयास जारी रखने के लिए शाला प्रबंधन विकास समिति का बैठक होता रहता है और स्कूल की समस्या का निराकरण क्या बच्चों शालाओं या शिक्षकों की किसी प्रकार की समस्या 201 चर्चा कर सुधार किया जा रहा है। इसमें सरपंच का भी बहुत सहयोग प्राप्त हो रहा है। शासन के विभिन योजनाओं के माध्यम से शाला में सफलता मिल रही है मैंने अपनी शाला सभी प्रकार कई योजनाओं का परिपालन कर स्कूल सफल बनाने का -है जो निम्न प्रकार है: प्रयास किया है


जादुई पिटाराः- हमने अपने शाला में जादुई पिटारा तैयार किया है जिसके माध्यम से बच्चों को बड़ी रोचकता के साथ शिक्षा प्रदान किया जाता है।


वेगळेश के गतिविधि:- बैग लेश है गतिविधि विगत हो वर्षों में बहुत ही अच्छे ढंग किया गया ब्र शर्मा. 3/6 बैग लेश के गतिविधि आयोजन होता जैसे- पत्तियों से रंगोली, मूर्तिकला, चित्रकला, सामान्य ज्ञान चचर्चा, खेलकूद, योगा, गीत कविता, आदि के माध्यम से बच्चों को व्यवहारिक, शारिरिक ज्ञान प्राप्त कसे का प्रयास किया। अभी बैगलेश डे में नया शिक्षा का समावेश हुआ है कला शिक्षा, योग शिक्षा पर कार्य अभी जारी है।

उपचारात्मक शिक्षा:- जो बच्चे अपनी स्तर से कमजोर हैं उसके लिए उपचारात्मक शिक्षा के माध्यम से बच्चों प्रगति लाने का प्रयास किया जा रहा है।

एक पेड़ मा के नाम :- इस योजना के तहत सभी बच्चों को एक पेड़ मां के नाम लावाया गया है और उसका देखभाल करने को कहा गया है पेर हमारे जीवन में कितना उपयोगी है यह बच्चों को बता कर पेड़ बगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।


बाल केबिनेट एवं इको क्लबमिशन लाइफ :- इसके माध्यम से सभी बच्चों को पौधा रोपण, साफ- सफाई आदि कामों में कुशता प्रदान की जा रही है।

अंगना म शिक्षा : इसके तहत मालाओं को जोड़कर

कार्यक्रम रखकर बच्चों की पूर्व तैयारी और घर में भी आपने कार्य के साथ पढ़ने और शिक्षा को बढ़ावा रखने के लिए खोप्तसाहित किया जा रहा है।


शाला सुरक्षा सुरक्षित शनिवार-विगत वर्ष हमने इसमें भी बहुत अच्छे से कार्य किया प्रत्येक शनिवार को सुरक्षित शनिवार टॉपिक पर चर्चा और गतिविधि किया जाता रहा और बच्चों को अपनी दैनिक जीवन में उपयोग आने वाली बालोंकशिक्षा प्रदान किया गया।


FLN आधारित शिक्षा:-

इस FLN पर अच्छे से कार्य किया जा रहा है बच्चे अभ्यास पुस्तिका से स्वयं से सीखते हैं और बच्चे पेयर लर्निंग भी करते हैं। FLM कीड की सहायता से बच्चे बहुत कुछ सीख पा रहे हैं। इसे अपनी शाला में हम संचालित कर रहे हैं।


स्कूल में नवाचारी गतिविधिः -


जन्मदिन उत्सव में नवाचार का प्रयास :-


हमारे पाठशाला बैलाचुषां सभी बच्चों का जन्म उत्सव बड़े धूम धाम से मनाया जाता है बेला चुनां गाव पहाड किनारे बसा हुआ है यह अनुसूचित जन जाति के अधिकतर बच्चे पढ़ते हैं बच्चों का अपने घर में जन्मदिन हीं मनाया जाता है बच्चों को खुशियो प्रदान करने के लिए स्कूल में जन्म दिन मनाया जाता है बच्चों साथ में उपहार प्रदान किया जाता है। इस वर्ष जनामदिन उत्सव में नवाचार लाया गया और कि बच्चे के जन्मदिन पर स्वयं बच्चा कहाड़ से जुगाड़ के नहत गमला तैयार करके या रेडीमेड गमला पौधा लगा -अपनी बाला को प्रदान किया जाता है यह नवाचार प्रयास सफलता की ओर है अभी इसी सत्र में 15 गमले पौधा लगा हुया बच्चों द्वारा शाला को प्रदान किया जा चुका है और सभी बच्चे अपने जमले का स्वयं देखभाल भी करते हैं। मेरे इस प्रयास से शाला में सौन्दर्य और बरियाली का वातावरण बन रहा है और बच्चे कार्यकुशला से भी सीख रहे हैं। 

②छन्तीसगढ़ की परम्परा और संस्कृति से जुड़े रहने और उनसे परिचित करवाने का प्रयास :-


छात्तीसगढ़ की वेश आभूषण का निमीण :-

छत्तीसगढ़ की संस्कृति से जुड़े रहने के उद्देश्य से बच्चों को हत्तीसगढ़ की आभूषण जुड़ी, कमरबंध, नागमोरी, माला भादि का निर्माण करवाया गया बच्चों ने अच्छा बनाया और ये आभूषण सांस्कृतिक कार्यक्रम में बहनने का काम आता है।


गेड़ी प्रदर्शन :-


हमारे छत्तीसगढ़ के हरेली त्यौहार में विशेष महत्व है।. शाला में बच्चे गेडी निर्माण कर गेबी प्रदर्शन किये। डी आज बहुतायत बच्चे गेडी के बारे में नहीं जानते हमने बच्चों को गेडी प्रदर्शन कर छत्तीसगढ़ के परंपरिक त्यौहार बरेली क बारे में परिचित कराने का सफल प्रयास किया।

पोला विहारः-


पोला त्योहार शाला में मनाया गया! बच्चों को पेलाविहार का महल समझाते हुये मिट्टी से बैल निर्माण किया गया बच्चों द्वारा तथा शाला में प्रदर्शन किया गया।

सावन उत्सव :-/ मूर्तिकला

बच्चे स्वयं से भगवान जी के मिट्टी से लिंग तैयार करके मूर्तिकला का प्रदर्शन किया। ग्रीन डे स्पेशल हरे रंग के साथ किया गया। गणेश जी का भी मिट्टी से मूर्ति तथा उसमें रंग लगाकर सजावटकर मूर्तिकला और धार्मिक आस्था की ओर जोड़ने का प्रयास किया गया।

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