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छत्तीसगढ़ी रचना

 छत्तीसगढ़ी रचना



खेत खलिहान बाड़ी नदावत हे 

नाली नरवा कन्जी पटावत   हे

तलाव नदीयाल घलो मिटावत हे

पेड़ पौधा जन्गल सब कटावत हे

सबले जादा दुरगति सरकार करावत हे

पिडा दुख कलम ह सुनावत हे

सोच विचार सब सही लिखावत हे

कम्पनी उद्योग सरकार लगवावत हे

पेड़ पौधा के कागज बनवावत हे

पैनामा सिगरेट बनावत जावत हे

सबों भारत म घर घर बेचावत हे

जनता ल नुकसान करावत हे

इमा सबले जादा पेड़ कटावत हे

जन्गल खाली होवत जावत हे

एक दिनम लाखों पेड़ कटावत हे

केन्सर के धुवां उडावत जावत हे 

आम जन पेड़ पौधा सब लगावत हे

अपनल नयी कोनो काटत हे

अपन बेटा बेटी समझ के लगावत हे

पुन्य मिलही बुढ़ापा के लाठी बनावत हे

सब मिलके प्रर्यावरण बचावत हे

आगे नेता सरकार लगावत हे


पिडा दिल दिमाग के नयी सहावय

कलम कोनों ला  नयी    डरावय 

सही  सच्चाई  पुरा   हे बतावय

जवाब कलम मागत मागत जावय

नेता सरकार कटायी रोक जाय

प्रकृति एक सालम सुधर सब जाय

आई टी सी जयीसन  कम्पनीयो लेबचाय  

बर्बादी ईही मेर रूक सब जाय

जमीन हवा पानी कुछु नयी बाचय

सच्चा सही कहानी के गोठ आय

हम सब मिल के श्रम सेवा कराय

पेड़ पौधा हर साल कतकों लगाय

हमर फसल के खेत खार बचाय

ककरो करा झन लुटाय

पेट पालके भारत भुखमरी बचाय

किसान खेतीम फसल लगाय

बेटी बेटा कस पालन कराय

अपन जानके सब कर जाय

कतको हमर भुईयां हे लुटाय 

पैसा रूपीया नौकरी के लालच देवाय

प्रकृति म आफत कतकों आय

ए सब काकर करतुत आय

जनता आम लोगन ल समझाय

कल कारखाना कतकों हे लगाय



जनता एक होके रह जावा

गलत होवत सहन झन करावा

आन्दोलन करके सब बचावा

जन्गल कटाई होवत हे रोकवावा

एकता के ताक़त खड़ा करावा

घर परिवार गांव ल बचावा

जल जन्गल ल अपन ले जोडावा 

पेड़ पौधा लगावा कटेले बचावा

लगाय के साथ साथ बचावा

सोए हे नेता सरकार ल जगावा 

अधिकारी ल बोलके सुरता करावा

कानून सब बर एक बनवावा

हम चाहबो त सब कर जावा

जन मानस मिलके महतारी बचावा

पन्नी प्लास्टीक ल दुर भगावा 

समान बर झोला अपनावा

पैरा कागज के चलन बढ़ावा

विकास बर कम्पनीया खोलवावा

बिनास बर झन लगवावा

काम के हे ओला कर जावा

घरम अपन ल झन छुपावा 

समय समय म आघु आ आवा

खुदे जागा जम्मोल जगावा

गलत नेता सरकार ल भगावा 

अपन राज पाठ अपन करावा

दुसरल अपन झन सौप जावा



अपन खाली जगह म पेड़ लगाए

भाठा भुर्रा म सब लगाए

अपने जिवन जिए बर लगाए

जगह बना बना के पोधा लगाए

समय हे आगे हरियाली कराए

घर आंगन बाड़ी सजाएं

खोल दुवारी खेत खलिहान म लगाए

फल दार रस दार पेड़ लगाए

फुल फुलवारी म घर आंगन सजाएं

काम बुता के सन्ग चलाएं

खेती किसानी करत करत कर जाए

खुसबु दार फुल सब लगाए

साज सज्जा अपन समझाय

आर्गेनिक खेती बाड़ी म लौट जाय

अच्छा सुखमय जीवन जीयाय 

तन मन धन शरीर बचाय

केन्सर जर बुखार तलक नयी आए

छोटे बड़े कोनों बिमारि नयी आय 

आधुनिक करण ले जादा बचाय

ओही सब हानीकारक आए 

चाउर दार सांग सब्बजी बचाएं 

फल फुलवारी हवा पानी बचाए

जहर होंगे सब आदमी कहां जाएं 

बर्बादी जल्दी जल्दी मौत हे पाए 



✍️रामसागर कश्यप जांजगीर चांपा✍️


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