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अपनी मदद स्वयं करो

                   अपनी मदद स्वयं करो




             हिम्मत और मेहनतत से किया गया कार्य अवश्य सफल होता है।कोई भी बाधा या कष्ट उस सफलता को रोक नहीं सकती। विद्वान कहते हैं कि "अभाव में स्वभाव नष्ट हो जाता है" परंतु बहुत से लोगों ने यह बता दिया कि अभाव में ही मनुष्य को कुछ अलग कर गुजरने की प्रेरणा मिलती है।

         जयलाल साहू का जन्म एक गरीब संयुक्त परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री धनेश साहू गाँव के जमींदार के यहाँ दरोगा का कार्य करते थे।उनके घर रात में पढ़ने के लिए प्रकाश की सुविधा नहीं थी।अतः वे दीपक के प्रकाश में बैठकर पढ़ाई किया करते थे।जयलाल पढ़ लिखकर भिलाई शहर के नामी उद्योग भिलाई इस्पात संयंत्र में नौकरी प्राप्त कर लिए तो लोग आश्चर्य में पड़ गए। उन्हें अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत मेहनत करना पड़ा। वे किसी भी कठिन समय में हिम्मत नहीं हारे। हर दु:ख और बाधा को बड़े धैर्य से पार करते हुए।समाज में भरपूर ख्याति और मान-सम्मान पाया। वे अपने दृढ़निश्चय, आत्मविश्वास, इच्छाशक्ति और कठोर परिश्रम से समाज में उच्च स्थान बनाये।


         जो लोग अपनी सफलता के लिए दूसरों पर आश्रित रहते हैं,वे सदा पछताते हैं। संसार में कोई किसी की मदद नहीं करता,ना ही कोई दूसरों के भरोसे या सहायता से आगे बढ़ सकता है।अत: हमें ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए अपनी मदद स्वयं करनी चाहिए।





प्रश्न १ जयलाल साहू को कहाँ नौकरी मिली ?


प्रश्न २ जयलाल के पिता का क्या नाम था और वे क्या कार्य करते थे ?


प्रश्न ३ हमें शिक्षा प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए ?


प्रश्न ४ जयलाल साहू को पढ़ाई के समय किन कठिनाई का सामना करना पड़ा होगा ?


प्रश्न ५ हमें आगे बढ़ने के लिए क्या करना चाहिए ?



©️®️ देवेश कुमार 'भारती'

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