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ज्ञान का संचय

                            ज्ञान का संचय





         ज्ञानी मनुष्य कस्तुरी के मनमोहक सुगन्ध समान होते हैं।वे जहाँ जाते हैं,वहाँ अपनी सुगन्ध साथ ले जाते हैं।उनके लिए सभी जगह अपना ही होता है।ज्ञानी मनुष्य का एकमात्र धन विद्या है,विद्या के अलावा अन्य सभी चीजें तुच्छ है।यह एक ऐसा धन है,जो कई जन्मों तक साथ रहता है।अच्छी विद्या से प्राप्त बुद्धि आगामी जन्मों में क्रमशः उन्नति करती जाती है।

        कुआँ को जितना गहरा खोदा जाए,उसमें से उतना ही अधिक जल प्राप्त होता है।उसी तरह से जितना अधिक ज्ञान प्राप्त करेंगे,उतना ही ज्ञानी बनेंगे।हमारी धरती में अपार ज्ञान शक्ति भंडार पड़ा है,इसे वही पा सकता है,जो ज्ञानी हो।ऋषि,मुनि और न जानें कितनों ने ज्ञान पाने के लिए अपना जीवन व्यय कर दिए, फिर भी बहुत से लोग ज्ञान को पाने में न जाने क्यों आलस करते हैं ? मनुष्य वृद्ध हो या मरणासन,तब भी ज्ञान प्राप्त करने में उत्साहित होना चाहिए।

             वे मनुष्य बड़े ही भाग्यहीन हैं,जो पढ़ाई से भागते हैं।जिस प्रकार राजा अपने प्रजा की रक्षा करता है,उसी तरह श्रेष्ठ गुरु भी विद्या दान करता है।अत: हमें हमारे गुरुओं की शरण में रहना चाहिए,जिससे हम ज्ञान संचय कर अपना सर्वश्रेष्ठ जीवन पा सकें।




प्रश्न :१ ज्ञानी मनुष्य किसके समान होते हैं ?

प्रश्न :२ ज्ञानी व्यक्ति का धन क्या है ?

प्रश्न :३ कौन भाग्यहीन हैं ?

प्रश्न :४  ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमें कैसा होना चाहिए ?

प्रश्न :५ हमें किसकी शरण मे रहना चाहिए ?



©️®️ देवेश कुमार 'भारती'

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