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सामुदायिक सहयोग से बना अहाता, पालकों ने पेश की मिसाल

 सामुदायिक सहयोग से बना अहाता, पालकों ने पेश की मिसाल




बस्तर के लामकेर गांव में पालकों ने चंदा व श्रमदान से स्कूल में कराया निर्माण, दिखाया शाला के प्रति अपनत्व


बस्तर। विकासखंड बस्तर के संकुल केंद्र सालेमेटा 02 के अंतर्गत संचालित प्राथमिक शाला बड़े पारा लामकेर में पालकों ने मिलकर सामुदायिक सहभागिता की अनूठी मिसाल पेश की है।


हाल ही में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आयोजित पालक-बालक सम्मेलन में जब शाला में अहाते (बाउंड्री वॉल) की आवश्यकता की बात सामने आई, तो पालकों ने प्रशासन का इंतजार न करते हुए स्वप्रेरित चंदा कर लोहे की जाली खरीदी। इसके बाद भारी बारिश के बीच तीन दिनों तक श्रमदान कर सुंदर अहाते का निर्माण कर दिया गया।

यह पहल दर्शाती है कि ग्रामीण आदिवासी अंचल के नागरिक भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति न सिर्फ जागरूक हैं, बल्कि उसके लिए खुद आगे आकर जिम्मेदारी निभा रहे हैं।


हमारा स्कूल, हमारी जिम्मेदारी" — पालकों की प्रेरणादायक भावना

मुख्य श्रमिक एवं सहयोगी:

बैसाखू राम, संतु भोयर, कोयटू कश्यप, बुधसिंह, मोटू कश्यप, राजू राम, सोमन राम, जग्गू भोयर, राजेश कश्यपई

इस पूरे  कार्य   में 

शिक्षिका ललीता धामगए एवं नम्रता मंडावी ने भी श्रमदान व सहयोग से निभाई अहम भूमिका।


 प्रेरणा है लामकेर — जहाँ दीवारों से नहीं, दिलों से बनती है शाला की बुनियाद संयुक्त  संचालक  शिक्षा


इस  सबंध में  संयुक्त  संचालक  शिक्षा  बस्तर  संभाग  राकेश पांडेय ने कहा  कि  यह  पालकों  की  सोच  एवं  सहयोग न केवल अन्य ग्राम पंचायतों व पालकों के लिए एक प्रेरणा है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी प्रयासों के साथ जब समुदाय की सहभागिता जुड़ जाती है, तब बदलाव की बुनियाद मजबूत होती है।

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