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गरीबी / poverty


गरीबी (poverty) 





 गरीबी मूलतः वंचन से संबंधित है। गरीबी से आशय जीवन की कुछ निर्दिष्ट आवश्यकताओ की पूर्ति से वंचित रहने से है।

 विकासशील देशों के संबंध में पहला वैश्विक गरीबी अनुमान वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 1990 में मिलता है।

गरीबी एक सामाजिक समस्या है। सामान्य शब्दों में गरीब से आशय उस व्यक्ति से है जो अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति से वंचित होता है ।

गरीबी की विश्व में दो अवधारणाएं प्रचलित है

   1  सापेक्ष, 2  निरपेक्ष


  1 सापेक्ष

 गरीबी इस प्रकार के गरीबी के आकलन में दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति को आधार न  मानकर किसी व्यक्ति की आय तुलना किसी दूसरे व्यक्ति के आय से किया जाता है। इसमें समाज को आय के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है ।विकसित देशों में इस प्रकार की गरीबी पाई जाती है। सापेक्ष गरीबी आय की असमानता को प्रदर्शित करता है।


  2 निरपेक्ष गरीबी 

इस प्रकार के गरीबी के आकलन में आय को आधार माना जाता है ।विकासशील देशों में इस प्रकार की गरीबी पाई जाती है। भारत में इसी प्रकार की गरीबी पाई जाती है। 

पूर्ण गरीबी तब होती है जब घरेलू आय एक निश्चित स्तर से नीचे होती है । इससे व्यक्ति या परिवार के लिए भोजन, आश्रय, सुरक्षित पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल आदि सहित जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना असंभव हो जाता है।


भारत में गरीबी का कारण


  1.  देश में अतिरिक्त जनसंख्या की स्थिति  का होना 
  2. देश की जाति व्यवस्था तथा तथा परंपराएं 
  3. देश का आर्थिक पिछड़ापन 
  4. कृषि का पिछड़ापन 
  5. साक्षरता का निम्न स्तर
  6.  बेरोजगारी राजनीतिक प्रतिबद्धता की कमी 
  7. भ्रष्ट नौकरशाही

गरीबी उन्मूलन के उपाय 

  1. जनसंख्या नियंत्रण 
  2. व्यवसायिक शिक्षा 
  3. देश के आधारभूत संरचना का विकास साक्षरता को बढ़ावा 
  4. सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का प्रतिबद्धता पूर्वक क्रियान्वयन रोजगार सृजन को बढ़ावा 
  5. वैज्ञानिक आर्थिक नीतियों का निष्पादन 
  6. सहकारिता को बढ़ावा साख सुविधा में वृद्धि 
  7. अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा
  8.  तीव्र औद्योगिकरण

भारत में गरीबी का आकलन कौन करता है?


योजना आयोग (अब नीति आयोग) हर वर्ष के लिए समय-समय पर गरीबी रेखा और गरीबी अनुपात का सर्वेक्षण करता है जिसके सांख्यिकी और कार्यक्रम मंत्रालय का राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) बड़े पैमाने पर घरेलू उपभोक्ता व्यय के सैंपल सर्वे लेकर कार्यान्वित करता है।

गरीबी रेखा का आकलन कौन करता है?

नीति आयोग भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण करता है। हर देश में गरीबी का आकलन अलग अलग तरीको से किया जाता है जैसे कि कुछ देशो में एक निश्चित आय को सामान्य माना जाता है तथा उससे नीचे की आय को गरीबी रेखा से नीचे माना जाता है।

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