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कोरवा जनजाति



 कोरवा



कोरवा कालेरियन जनजाति से संबंध है और वो दो भागों में विभाजित है पहाड़ी में पहाड़ी कोरवा और मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले दिहाड़ी कोरवा एक मान्यता के अनुसार पहाड़ी कोरवा अपना जन्म कागभगोड़ा से मानते हैं जशपुर ,सरगुजा ,बलरामपुर ,सूरजपुर रायगढ़, कोरिया कोरबा बिलासपुर जिले में सकेंद्रित है।

कोरवा कटीले काले बदन के होते हैं महिलाओं का कद छोटा होता है। दिहाड़ी कोरबा गांव में रहते हैं किंतु पहाड़ी कोरवा गांव से दूर छोटे-छोटे वन प्रखंडों में रहते हैं कोरवा  में कमीज , बंडी  और धोती का चलन है कोरवा  महिलाएं प्रायः सफेद साड़ी पहनती है।कोरवा  शराब के बेहद शौकीन होते हैं चावल की बनी शराब हांड्या इनका प्रिय पेय  पदार्थ है।समाज पितृसत्तात्मक है। सगोत्र विवाह वर्जित है बाल विवाह प्रथा का प्रचलन है ज्यादातर मांगी विवाह होते हैं।पहाड़ी कोरवा में मृतक संस्कार नवाधावी किया जाता है जिसमें कुमारी भात नामक  क्रिया कर्म होती है।पहाड़ी कोरवा स्थानांतरित कृषि करते हैं इसी कारण इसे वेवारी कोरवा कहा जाता है।कोरवा लोग बूढ़ादेव खुड़िया रानी ठाकुर देव करण देव आदि देवी देवता की पूजा करते हैं कोरबा लोगों की पंचायत मायरी  कहलाती है।इनमें नवाखानी  का त्यौहार प्रचलित है।

पहाड़ी कोरवा को विशेष पिछड़ी जनजाति का दर्जा दिया गया है और उनके विकास के लिए एक अभिकरण का गठन किया गया है जिसका मुख्यालय जशपुर में है।

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