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अलंकार

                           अलंकार




परिभाषा: - अलंकृत करे या शोभा बढ़ावे ,वह अलंकार है अलंकार काव्य की वे अस्थायी धर्म है जिनके प्रयोग से काव्य की शोभा बढ़ जाती है । 


                          या


परिभाषा :- अलंकार का अर्थ है- आभूषण । काव्य की सुंदरता बढ़ाने वाले तत्व अलंकार कहलाते हैं।



अलंकार के प्रकार:-  अलंकार दो प्रकार के होते हैं-


(1) शब्दालंकार

(2) अर्थालंकार


(1) शब्दा अलंकार :-  काव्य में शब्दों के कारण चमत्कार उत्पन्न होता है, वहां शब्दा अलंकार होता है ये तीन प्रकार के होते हैं-

 1.अनुप्रास, 2.यमक,3.श्लेश


(2)अर्थालंकार :-  काव्य में जहां अर्थ के कारण चमत्कार उत्पन्न होता है ,वहां अर्थालंकार होता है ये अनेक है-

उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि ।


               शब्दा अलंकार       

याद करने का तरीका (अयश) 


(1) अनुप्रास :- जहां किसी व्यंजन वर्ण की आवृत्ति से चमत्कार उत्पन्न हो , वहां अनुप्रास अलंकार होता है।

 उदाहरण - (क) चारु चंद्र की चंचल किरणें, 

खेल रही थी जल थल में ।

(ख) बाल - विनोद - मोदमन  मोहे।


(2) यमक :- जहां किसी शब्द की आवृत्ति हो और प्रत्येक बार उसका भिन्न अर्थ हो , वह यमक अलंकार होता है। 

उदाहरण - (क) कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।कनक -स्वर्ण, कनक-धतूरा।

(ख)  तीन बेर खाती थी सो अब तीन बेर खाती है। तीन बेर - तीन बेर। तीन बेर - तीन बेर के फल।


(3)श्लेष :- 'श्लेषण' शब्द का अर्थ होता है - चिपका हुआ । जब एक ही शब्द में कई अर्थ चिपके रहते हैं  , तब श्लेष अलंकार होता है।

उदाहरण- (क) पानी गए न ऊबरे मोती , मानुष , चून। यहां  पानी  शब्द के तीन अर्थ है- (1) चमक (2)  इज्जत   (3) पानी (जल)

(ख) भिखारिन को देखकर पट देत बार-बार। पट का अर्थ -दरवाजा, वस्त्र 

                अर्था अलंकार

याद करने का तरीका (उ रू उ) 

(1) उपमा अलंकार: - जहां दो वस्तुओं में समान गुण ,धर्म ,स्वभाव आदि के आधार पर तुलना की जाती है ,वहां उपमा अलंकार होता है।           उपमा के चार अंग होते हैं-

1.उपमेय - जिसकी तुलना की जाए। 

2.उपमान- जिससे  तुलना की जाय।                                                  3.साधारण धर्म - जिस गुण या दोष के कारण  तुलना की जाय।

 4. वाचक शब्द -समानता बोधक अव्यय शब्द ,जैसे -सम ,समान ,तुल्य , सा, तरह , ज्यों आदि। 

उदाहरण - (1) चरण कमल सम कोमल। 

(2) सागर गरजे मस्ताना सा।


 (2) रूपक अलंकार :- उपमेय  में उपमान के आरोप को रूपक अलंकार कहते हैं।

उदाहरण - 1.मो मन -मानिक लै गयो, चितचोर - नंद- नंद।

यहां मन को माणिक्य और नंदनंद को चोर कह कर उपमेय और उपमान की अभेदता दिखाई है।

(2) मैया मैं तो चंद्र- खिलौना, लैहों।

यहां चंद्रमा को ही खिलौना कह दिया गया है अतः यहां अलंकार है।


(3) उत्प्रेक्षा अलंकार:-  उद्देश्य का अर्थ है संभावना या कल्पना ।जहां उपमेय में उपमान की संभावना की जाय, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

उदाहरण - 1.  लगे वचन जनु बान।

2. बढ़त बाङ को वृक्ष यह, मनु चूमत अकाश ।




                                  कंचन धिरही

                         बी एस सी (फाइनल) गणित


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