शिवरीनारायण
शिवरीनारायण सांस्कृतिक विरासत
जांजगीर जिले में महानदी के बाएं तट पर स्थित राज्य के धार्मिक एवं पौराणिक महत्व का स्थान है इसे नारायण या पुरुषोत्तम क्षेत्र भी कहा जाता है।
शिवरीनारायण के संबंध में प्रचलित किवदंती के अनुसार नारायण भक्त सवर या सावनेर के नाम पर इस स्थान का नाम शिवरीनारायण पड़ा।
एक अन्य मान्यता के अनुसार राम के 14 वर्ष वनवास काल में सूर्य नारायण की यात्रा की थी और यही शबरी के जूठे बेर खाए थे सबरी के नाम पर इस स्थान का नाम शिवरीनारायण पड़ा।
नगर से कुछ दूरी पर जोक महा नदी का संगम व शिवनाथ- महानदी का संगम है।
यहां कई छोटे-छोटे प्राचीन मंदिर है उनमें से दो बड़े मंदिर आधुनिक है जो संभवत पुरातात्विक सामग्री से निर्मित किए गए हैं।
नर नारायण मंदिर- यह मंदिर लगभग 2500 साल पुराना है इसका निर्माण राजा शबर ने करवाया था।
जगन्नाथ मंदिर- सन 1927 में बना यह मंदिर नर नारायण मंदिर से कुछ कदम की दूरी पर है प्राचीन मान्यता के अनुसार माघ पूर्णिमा में हर साल भगवान जगन्नाथ यहां आते हैं।
यहां चंद्रचूड़ महादेव का मंदिर भी है जिसका निर्माण कभी कुमार पाल ने किया था।
शिवरीनारायण में प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा पर मेला लगता है मान्यता है कि माघ पूर्णिमा का भगवान जगन्नाथ शिवरीनारायण आते हैं इसलिए इस दिन जगन्नाथपुरी के दरवाजे बंद रखे जाते हैं।
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