छत्तीसगढ़ में वर्षा
छत्तीसगढ़ में वर्षा की प्रकृति मानसूनी है छत्तीसगढ़ में वर्षा ऋतु गर्म एवं आर्द होती है लगभग 90% वर्षा यहां दक्षिण पश्चिम मानसून हवाओं के द्वारा होती है इस क्षेत्र में मानसून 10 से 15 जून के मध्य पहुंचता है तथा जुलाई एवं अगस्त माह में सर्वाधिक वर्षा होती है।
21 जून को कर्क रेखा के समीप सूर्य की लंबवत स्थिति होती है जिससे गर्मी व तापमान में वृद्धि होती है और निम्न वायुदाब की स्थिति बनती है परिणाम स्वरूप हिंद महासागर के दक्षिण भाग से मानसून हवाएं आकर्षित होती है एवं इसी से छत्तीसगढ़ में वर्षा होती है ।
21 सितंबर के बाद सूर्य के दक्षिणायन होने से सूर्य की तेज किरणों के कारण तापमान में कमी आता है फल स्वरुप वायुदाब की स्थिति में परिवर्तन होती है तथा मानसून की गति व मात्रा क्षीण होने लगती है शीत ऋतु में पश्चिमी चक्रवातों के कारण कुछ वर्षा होती है दिसंबर में सबसे कम वर्षा होती है।
प्रदेश में औसत वार्षिक वर्षा लगभग 120 से 125 सेंटीमीटर होती है।
छत्तीसगढ़ में शिवनाथ मैदान के समीपवर्ती भाग और मैकल श्रेणी के निकट न्यूनतम वर्षा होती है क्योंकि माइकल श्रेणी द्वारा इन हवाओं के मार्ग में अवरोध उत्पन्न करने के कारण यहां मानसून हवाओं की स्थिति कमजोर होती है जिससे कवर्धा में उत्तरी राजनांदगांव की कुछ क्षेत्रों में वृष्टि छाया का प्रभाव उत्पन्न हो जाता है।
भानूप्रतापपुर जसपुर तहसीलों में सर्वाधिक औसत वर्षा होती है जिलेवार सर्वाधिक वर्षा जसपुर में जबकि सबसे कम वर्षा कवर्धा क्षेत्र में होती है। नारायणपुर जिले का अबूझमाड़ प्रदेश का सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र है अधिकतम वर्षा जसपुर उत्तरी रायगढ़ तथा दंतेवाड़ा जिलों में होती है। कोरिया कोरबा रायपुर कवर्धा जिला में अपेक्षाकृत कम वर्षा होती है।
सरगुजा महासमुंद धमतरी जिला में मध्यम मात्रा में वर्षा होती है।
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