*होली मिलन गीत*
गांव ,गली ,घर , नगर, डगर में,
रंग सतरंगी है छाई।
कहीं गुलाब कहीं अबीर की लाल,
कहीं मिले हरजाई।।।
आज होली मिलन की आई ....
गेंदा गुलाब टेशु फूल की लाल,
में भी भर - भर जवानी गदराई।
भौरो को भाए नशा ये कैसा,
कलियों ने भी रस बरसाई।।
आज होली मिलन की आई .....
रंग पिचकाए मोहे भीगे चुनरिया,
अंग - अंग में मदहोशी समाई।
बच्चे बूढ़े और जवनिया सब में,
नशा अजब ये छाई।।
आज होली मिलन की आई ......
फाग की राग रंगी ऎसी ,
रस रंग ही रंग सुहाई।
नयनों से तीर मारे मृगनयनी,
तीरन पे तीर चलाई।।
आज होली मिलन की आई.....
बाजत नगारा झूमे गुजरिया,
झुमत है जगत जन न्यारी।
छोड़ नशा सब बैर भरम का ,
अब प्रेम ने ली अंगड़ाई।।
आज होली मिलन की आई .....
कहे बावरिया सुन रंग रसिया,
छेडो न ऎसे मन मोई।
डूब गई जग सारा जहां,
आज समा दिलो में जगाई।।
आज होली मिलन की आई ,
आज होली मिलन की आई।।।
*वेद प्रकाश दिवाकर*
*शिक्षक*
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