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*कन्यादान*

                             *कन्यादान*





ऊंगली पकड़कर चलना सिखाया,मेरे घर की आन।

कैसे करू उस बेटी की ,आज मै कन्यादान।।


मेरे आंगन की फूल बगिया को,खुशियों से महकाई।

रूठकर हंसना हंसकर रूठना, है मेरी परछाई।।


खट्ठी- मीठी बातें करके,सबकी बनती है नानी।

बात पड़े तो बड़ी अकड़ से ,बनती बड़ी सयानी।।


एक मधुर मुस्कान ही उसकी ,हर लेती थकान।

कैसे करू उस बेटी की, आज मै कन्यादान।।


पल आे चंचल आएगा,जब होगी हमसे दूर।

एक पल में ओझल होगी, मेरे आंखों की नूर।।


तेरी कदम पड़े जिस घर में, आे घर बन जाए सोना 

घर आंगन खुशियों से भरना ,महके कोना - कोना।।


दो घरों को जोड़ने वाली, रखना तू मेरी मान।

फक्र करूं सदा तुझपर , करना तू ऎसी काम।।


छोटे - बड़ों का मान तू रखना, है बिटिया तू प्यारी।

झोली भरे हर खुशियों से , है आशीर्वाद हमारी ।।।।

है आशीर्वाद हमारी ।।।


  *वेद प्रकाश दिवाकर*

       *शिक्षक*

*शास.पूर्व माधय. वि. सकरेली बा.*

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