शिक्षा दूत शिक्षिका गिरिजा साहू ने सरकारी स्कूल को भेंट किया स्मार्ट टीवी, ग्रामीण शिक्षा में डिजिटल युग की शुरुआत
बस्तर, छत्तीसगढ़ |
बस्तर विकासखंड के एक छोटे से गांव राजपुर स्थित प्राथमिक शाला मावलीगुड़ा में शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक पहल देखने को मिली, जब शिक्षा दूत पुरस्कार से सम्मानित शिक्षिका श्रीमती गिरिजा साहू ने अपने विद्यालय को स्मार्ट टीवी भेंट किया। यह स्मार्ट टीवी उन्होंने पुरस्कार राशि के साथ अपनी व्यक्तिगत बचत से खरीदा।
बच्चों में उमंग और प्रेरणा की लहर
स्मार्ट टीवी मिलते ही बच्चों के चेहरों पर खुशी देखने लायक थी। इस अवसर पर खास कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें बच्चों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर प्रेरणादायक शॉर्ट फ़िल्म "चलो जीते हैं" देखी। फ़िल्म के दौरान बच्चों की तालियों और उत्साह ने वातावरण को जीवंत कर दिया। बच्चों ने इस फ़िल्म से सीखा कि संघर्ष और सेवा से जीवन में सार्थकता आती है।
डिजिटल शिक्षा की ओर एक बड़ा कदम
इस स्मार्ट टीवी की मदद से अब बच्चों की पढ़ाई और भी रोचक और प्रभावशाली होगी। वीडियो, चित्र और एनिमेशन के माध्यम से कठिन विषयों को सरल बनाया जा सकेगा।
विद्यार्थियों की सीखने में रुचि बढ़ेगी।
नवोदय और एकलव्य जैसी परीक्षाओं की तैयारी बेहतर होगी।
ग्रामीण अंचल के बच्चों को भी तकनीकी शिक्षा का लाभ मिलेगा।
संवेदनशील शिक्षिका की पहल
श्रीमती गिरिजा साहू ने कहा कि वह स्वयं एक सरकारी विद्यालय की छात्रा रही हैं, इसलिए उन्हें बच्चों की कठिनाइयों का पूर्ण अनुभव है। उन्होंने कहा कि
"सुविधाओं की कमी से प्रतिभा रुक जाती है। मैं चाहती हूँ कि हमारे गांव के बच्चे भी बड़े सपने देखें और उन्हें पूरा करने का आत्मबल रखें।
उनकी इस पहल ने न सिर्फ बच्चों को बल्कि पूरे गांव को प्रेरणा दी है।
ग्रामवासियों और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति
इस विशेष अवसर पर ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि रघुनाथ कश्यप, बोगीराम कश्यप, शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष जगत सिंह कश्यप, बुधमन कश्यप, संकुल प्राचार्य चरण बघेल, संकुल समन्वयक गजेंद्र सिंह ठाकुर, और अनेक ग्रामीणजन उपस्थित रहे। सभी ने इस पहल की सराहना की और शिक्षिका के योगदान को सराहा।
*विद्यालय परिवार का आभार*
विद्यालय के प्रधानाध्यापक शोभी राम बघेल और समस्त बच्चों ने शिक्षिका का आभार व्यक्त करते हुए कहा:
"यह स्मार्ट टीवी केवल एक उपकरण नहीं, बल्कि बच्चों के सपनों को साकार करने की दिशा में एक सार्थक कदम है।"
निष्कर्ष
श्रीमती गिरिजा साहू की यह पहल साबित करती है कि अगर नीयत और दृष्टि स्पष्ट हो तो संसाधनों की सीमाएं भी विकास के रास्ते में बाधा नहीं बनतीं। यह कदम निश्चित ही ग्रामीण शिक्षा को नई दिशा देगा और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की नींव मजबूत करेगा।
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