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छत्तीसगढ़ में शिक्षा का नवाचार: चेतन दास सार्वा की सफलता की कहानी

 छत्तीसगढ़ में शिक्षा का नवाचार: चेतन दास सार्वा की सफलता की कहानी



छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले के मानपुर विकासखंड में शिक्षा का नवाचार लाने की एक सफलता की कहानी है। शासकीय बालक प्राथमिक शाला मानपुर के शिक्षक सहायक शिक्षक चेतन दास सार्वा ने आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार लाने का काम किया है।


नवाचार की आवश्यकता


शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार लाने से छात्रों को नए और रोचक तरीके से सीखने का अवसर मिलता है। चेतन दास सार्वा ने अपने शिक्षण में नवाचार लाने के लिए कई तरीकों का प्रयोग किया, जैसे कि रीडिंग कार्नर एट माय होम, कठपुतलियों से शिक्षण, मुखौटों से शिक्षण, विषय अनुसार टी एल एम का प्रयोग, म्यूजिकल कहानी, खेल-खेल में शिक्षा, योगाभ्यास और खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रमों को शिक्षण का सशक्त माध्यम बनाना और बहुभाषा शिक्षण में योगदान जैसे नवाचार से शिक्षण प्रक्रिया रोचक हुई है और बच्चे कक्षा में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करते हुए समझ के साथ सीखने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं।


नवाचार के परिणाम


चेतन दास सार्वा की इस पहल से बच्चों का स्कूल में ठहराव हुआ और वे नियमित स्कूल आने लगे। नवाचारी गतिविधियां छात्रों को नए और रोचक तरीके से सीखने का अवसर प्रदान करता है। इससे छात्रों में आत्मविश्वास जगा और आत्मनिर्भरता के साथ स्वयं के विचारों की अभिव्यक्ति करते हैं। इस नवाचार के परिणामस्वरूप, राज्य स्तर पर मानपुर विकासखंड और जिले के अन्य शिक्षकों को भी प्रेरणा मिली।


राज्य स्तर पर मानपुर को मिली पहचान


चेतन दास सार्वा ने आदिवासी क्षेत्र के साथ-साथ पूरे छत्तीसगढ़ राज्य की शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए काम किया। उन्होंने राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (SCERT) के साथ मिलकर प्राथमिक कक्षाओं के लिए पाठ्यपुस्तक और अभ्यास पुस्तिका निर्माण में सहयोग दिया और प्रश्न पत्र निर्माण समूह के सदस्य रहे। इसके अलावा, उन्होंने एनसीईआरटी दिल्ली द्वारा आयोजित "परख" परीक्षा की आनलाइन डाटा विश्लेषण में छत्तीसगढ़ का नेतृत्व किया।


आगे की संभावनाएं


चेतन दास सार्वा की इस पहल से शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार लाने के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त हुआ है। इससे अन्य शिक्षकों और छात्रों को भी प्रेरणा मिलेगी और वे अपने क्षेत्र में नवाचार लाने के लिए काम करेंगे। इस प्रकार, शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार लाने से आदिवासी क्षेत्र के छात्रों को नए और रोचक तरीके से सीखने का अवसर मिलेगा और वे आत्मविश्वास और आत्मनिर्भर बनेंगे।


नवाचारी गतिविधियों को मिला है अनेक सम्मान


 जिला स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह 2014 और 2024 में उत्कृष्ट नवाचारी शिक्षक सम्मान , ज्योतिबा फुले शिक्षा सम्मान , राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक सम्मान, शिक्षा रत्न सम्मान, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा सम्मान, शिक्षा दूत सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।


"समझ आधारित जीवन जीने की शिक्षा" से आज बहुत से बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त करके अपना आजिविका चला रहे हैं।

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