Header AD

Ticker

6/recent/ticker-posts

शिक्षा में नवाचार : एक प्रेरक पहल

 शिक्षा में नवाचार : एक प्रेरक पहल



ज्योति सराफ

लेक्चरर कॉमर्स

शासकीय हर. सेक्. स्कूल. कुरदा

ब्लॉक -बलोदा

जिला-जांजगीर चाम्पा(छ.ग.)

शिक्षक केवल ज्ञान का संचारक नहीं होता, बल्कि बच्चों के जीवन में दिशा देने वाला दीपस्तंभ होता है। समय के बदलते दौर में शिक्षा को रोचक, जीवनोपयोगी और समावेशी बनाने के लिए मेरा प्रयास रहा है कि हर बच्चे तक शिक्षा के नए स्वरूप पहुँच सकें।

पारंपरिक पढ़ाई के साथ-साथ नैतिक शिक्षा, पर्यावरण शिक्षा और सामाजिक सरोकारों को जोड़ने का मेरा प्रयास रहा है। जल प्रदूषण, प्लास्टिक प्रदूषण और सोशल मीडिया प्रदूषण जैसे विषयों पर कक्षा में चर्चा कर विद्यार्थियों को जागरूक नागरिक बनाने का प्रयास किया गया है।

समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मेरा प्रयास रहा है कि दृष्टिबाधित और विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों के लिए भी पढ़ाई सहज बने। इसी उद्देश्य से “कॉमर्स सीरीज़” नामक ऑडियो पुस्तक में 100 से अधिक अध्याय तैयार किए गए, जिससे अध्ययन करना आसान और आनंददायी बना। इस पहल ने दिव्यांग विद्यार्थियों को शिक्षा से जोड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

रचनात्मक गतिविधियों में भी मेरा प्रयास रहा है कि बच्चे वेस्ट मटेरियल का पुनः उपयोग करना सीखें। खिलौने, सजावटी सामान, क्रोशिया और मैक्रेमे जैसे नवाचारों से उनकी प्रतिभा को निखारने का अवसर मिला। इस प्रयास से विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, रचनात्मकता और पर्यावरण संरक्षण की भावना मजबूत हुई।

विद्यार्थियों की उपलब्धियाँ इन प्रयासों का प्रत्यक्ष परिणाम रही हैं। हाल के वर्षों में कई छात्र-छात्राओं ने उत्कृष्ट अंकों के साथ जिले में अपनी पहचान बनाई है। यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि मेरा प्रयास रहा है शिक्षा को बोझ नहीं, बल्कि आनंदमयी अनुभव बनाने का।विद्यार्थियों को स्थानीय संसाधनों और पारंपरिक कारीगरी से जोड़ने के लिए कोसा कपड़ा, काँसे के बर्तन, मिट्टी के खिलौने और इको-फ्रेंडली बैग निर्माण जैसी प्रक्रियाओं को प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाया गया। इससे बच्चों में स्थानीय विरासत के प्रति सम्मान और पर्यावरण-मैत्रीपूर्ण जीवन शैली अपनाने की प्रेरणा मिली।

दिव्यांगजन के अधिकारों और उनके भविष्य को सशक्त बनाने की दिशा में भी मेरा प्रयास रहा है। नीति निर्माण में दिव्यांगजनों की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कार्य किए गए हैं। इसी क्रम में “दिव्यांगता अधिकार, अवसर और आशा” नामक एक साझा संकलन पुस्तक का लेखन भी किया गया है, जो इस क्षेत्र में एक सार्थक पहल सिद्ध हुई है।

मेरा प्रयास रहा है कि हर बच्चा आत्मविश्वास, सामाजिक जिम्मेदारी और नवाचार की सोच के साथ आगे बढ़े। विशेष रूप से बच्चियों की शिक्षा पर बल देकर उन्हें अवसर उपलब्ध कराना इस अभियान की महत्वपूर्ण उपलब्धि रही है।

इन सभी कार्यों के पीछे यही सोच रही है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि बच्चों के मन में नई उड़ान, नई सोच और बेहतर समाज निर्माण की भावना जगाना है। मेरा प्रयास रहा है कि शिक्षा और समावेशन का यह दीपक पीढ़ियों तक आलोक फैलाता रहे।

Post a Comment

0 Comments