Header AD

Ticker

6/recent/ticker-posts

शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य

 शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य



शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है, यह जीवन जीने की कला है। जब कोई दीपक अंधकार को मिटाता है, तो वह स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देता है। ठीक उसी प्रकार सच्ची शिक्षा वह है, जो केवल हमें विद्वान न बनाए, बल्कि हमें इंसान बनाए।

आज की भागदौड़ भरी दुनिया में ज्ञान अर्जित करना आसान हो गया है, परंतु मानवीय मूल्यों को आत्मसात करना कठिन होता जा रहा है। शिक्षा का लक्ष्य डिग्री पाना या नौकरी पाना भर नहीं होना चाहिए, बल्कि दूसरों के जीवन में प्रकाश फैलाना होना चाहिए। यदि हमारे ज्ञान से किसी की मुस्कान लौट आती है, यदि हमारे व्यवहार से किसी का दुख कम हो जाता है, तो वही शिक्षा का सर्वोच्च फल है।


महात्मा गांधी ने कहा था – “शिक्षा का उद्देश्य चरित्र निर्माण है।” सच है, ज्ञान तभी सार्थक है जब वह संवेदना और करुणा से जुड़ा हो। जिस शिक्षा से व्यक्ति में दूसरों की सेवा करने की प्रेरणा न जागे, वह अधूरी है।


शिक्षा हमें यह सिखाती है कि

सत्य और असत्य में भेद करें,

कठिनाइयों के बीच साहस बनाए रखें,

सफलता पर गर्व न करें और असफलता पर निराश न हों,

और सबसे बड़ी बात – दूसरों के दुख में साथ खड़े हों।


शिक्षा के बिना इंसान केवल जीवित रह सकता है, पर शिक्षा के साथ इंसान दूसरों को जीने का सहारा बन सकता है। यही कारण है कि एक सच्चा शिक्षक केवल ज्ञान नहीं बाँटता, बल्कि अपने छात्रों के हृदय में संस्कार और संवेदनशीलता का बीज बोता है।

आज हमें ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जो बच्चों को ‘अच्छा इंसान’ बनाए, न कि केवल ‘अच्छा पेशेवर’। हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जो तकनीकी कुशलता के साथ-साथ मानवीयता भी सिखाए।

जब शिक्षा का दीपक जलता है, तो केवल एक घर नहीं, बल्कि पूरा समाज रोशन हो जाता है। यही शिक्षा की असली पहचान है।

श्रीमती ज्योति सराफ

व्याख्याता (वाणिज्य)

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुरदा

Post a Comment

0 Comments