माता शैलपुत्री
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नौ दुर्गा के नौ रूपों में,
प्रथम शैलपुत्री का नाम ।
वृषभारुढ़ होकर हैं आती,
सुर नर मुनि सब धरते ध्यान ।
अर्ध चंद्रमा शीश बिराजे,
नित करते जिसके गुणगान ।
हिम राजा की है वह कन्या,
भक्तों का करने कल्याण ।
एक हाथ में शूल लिये हैं,
दूजे कर में कमल निधान ।
शिव की भार्या आदि भवानी,
मन मोहक जिसकी मुस्कान ।
चरण शरण में हूँ मइया जी,
मैं मूरख अति ही नादान ।
क्षमा कीजिये माता रानी,
किया न जो जग का सम्मान ।
बालक हूँ गलती करता हूँ ,
पर माँ तू है बड़ी महान ।
निशदिन तेरा ध्यान धरूँ मैं,
बस इतना दीजै वरदान ।
सारा जग हो सुख से पूरित,
रहे न दुख का नाम निशान ।
जै जै जै हे मातु भवानी,
मोहन का भी हो कल्याण ।।
*रचयिता- मोहन लाल कौशिक, बिलासपुर (छ.ग.)*
*दिनांक- 15/10/2023*
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