समुद्र
बहुत पुरानी बात है, एक गाँव में दो भाई रहते थे । दोनों भाइयों में बहुत प्रेम था, वे सुखमय जीवन बिता रहे थे । एक बार बड़े भाई को आवश्यक कार्य से रात्रि के समय दूसरे गाँव जाना पड़ा ।रास्ते में उसकी मुलाकात एक साधू से हुई । साधू ने कहा- यदि तुमने मेरे प्रश्नों के सही उत्तर (जवाब) दिए ,तो मैं तुम्हें एक जनोपयोगी पुरस्कार दूँगा । बड़े भाई ने साधू महाराज के प्रश्नों के उत्तर बड़ी सहजता एवं विनम्रता से दी। साधू ने प्रसन्न होकर उसे एक जादुई बर्तन (पात्र) दिया, जो अपने मालिक की सारी इच्छाएं पूरी करता था । बर्तन से अपनी इच्छित वस्तुएं प्राप्त करने तथा वस्तु प्राप्ति के बाद उसे रोकने के लिए साधू ने कुछ मंत्र बताए, साथ ही इस मंत्र का आवाहन किसी भी अन्य व्यक्ति के सम्मुख करने से मना किया ।
जादुई बर्तन पाने के बाद बड़ा भाई बहुत सुख से रहने लगा, तथा यदा-कदा अपने छोटे भाई को भी भोज में आमंत्रित किया करता । छोटा भाई अपने बड़े भाई के रहन-सहन व ठाट-बाट को देखकर उससे ईर्ष्या करने लगा तथा इसका भेद जानने के लिए रातों में जागकर भाई की निगरानी करने लगा। एक रात उसने बड़े भाई को मंत्र बोलकर बर्तन से कुछ सामान माँगते देखा ,बर्तन ने तत्काल उन सभी वस्तुओं को उपलब्ध करा दिया । छोटे भाई की आँखें फटी की फटी रह गई, उन्होंने उस मंत्र को याद कर लिया परंतु बर्तन से सामान निकालना बंद करने के मंत्र को जाने बिना वह घर की ओर चल दिया । एक दिन मौका पाते ही छोटा भाई उस बर्तन की चोरी कर एक नाव में सवार होकर समुद्र के रास्ते अन्य देश के लिए भाग निकला ।
छोटा भाई ने मंत्र बोलकर जादुई बर्तन से जो भी माँगा, उसने सब दिया, भूख लगने पर उन्होंने भोजन की मांग की । जादुई बर्तन ने लज़ीज व्यंजनों की थाली उसके सामने रख दी, बर्तन से सामान निकलना निरंतर जारी रहा । जब उसने खाना शुरू किया तो उसे भोजन में नमक फीका लगा । उसने बर्तन से नमक की मांग की, बर्तन से नमक निकलना शुरू हुआ और निकलता ही रहा । चूँकि छोटा भाई को बंद करने का मंत्र मालूम नहीं था इसलिए बर्तन से नमक निकलता ही रहा ।
नाव में नमक भर गया और नमक के भार से नाव समुद्र में डूब गया, साथ ही छोटा भाई भी समुद्र में डूबकर मर गया ।
शिक्षा- हमें दूसरों की संपत्ति पर लालच नहीं करनी चाहिए ।
पुष्पेन्द्र कुमार कश्यप, सक्ती (छत्तीसगढ़)
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Nice story
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