रचना हिन्दी कविता
पर्यावरण
पर्यावरण से हो जाओ परिचित
मिल जाएगा आसानी से जित
धरती अम्बर से कर जाओ प्रीत
मानव बन कर जाओ जन हित
पेड़ पौधा लगाओ जन्गल बचाओ
सारे हमारे सब के हित कर जाओ
अपने है प्रकृति उन्हे अपना जाओ
अपने है तो अपनों को ही बचाओ
पन्नी प्लास्टीक से है मुक्त कराओ
उनसब कचड़ा से धरती को बचाओ
पौधा पेड़ लगाओ आंगन सजाओं
सोए इन्सान को मिल कर जगाओं
ऐसा खुद को साबित काम कराओ
लोग काम नाम ले बैसे कर जाओ
आओ हम सब मिलकर एक हो जाओ
पेड़ पौधा लगाओ कर्म करा जाओ
भेद भाव सब छोड़ दो
अपना मुख हैं मोड़ दो
जाती पाती के दिवार तोड़ दो
एक साथ मिलकर खड़े कर दो
कचड़ा नाली में न डाल दो
जिव जन्तु हवा पानी को बचा दो
जन्गल पेड़ कटने को रोक दो
तन मन धन जिवन अपना झोक दो
पेड़ों पौधो से विरान ना कर दो
हसदेव जन्गल को भी ना कटने दो
एक जाती एक समाज के कर दो
आदिवासी समाज का हैं ना कह दो
हमारा है हक अधिकार सब लड़ दो
अनेकता में एकता का हुन्कार भर दो
अनेकता में रहना अब छोड़ दो
नेता सरकार के कमर तोड दो
छत्तीसगढ़ पुरा भारत को बचा दो
जमी को हरियाली से सज़ा दो
काटने वालों से पेड़ पौधा बचा दो
किसान मजदूर सब पेड़ लगा दो
झोंक देता है तन मन धन
लगा देता है पुरा जिवन
जो बाध लेता है पगड़ी तन
बना कर अपना कफ़न
पेड़ पौधा लगाता लगा कर मन
निकाल कर कलम बना दो जन
जन हित से भरा पड़ा है जिवन
घर से निकालो सब आम जन
उछाल दो सिक्के की ठन
निकल जाएगा अच्छा जिवन
उस पेड़ पौधा से मिलता हैं हमको
हवा पानी हमारे तन को
भोजन भरण हैं मिलता हमको
पेड़ों पौधो से पर्यावरण बचाने हमको
,✍️रामसागर कश्यप जिला जान्जगीर चाम्पा✍️
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