# बलिदान #
कमरीद गांव में सुनील नाम का एक सुंदर सुशील लड़का था। उसके मां-बाप अनपढ़ होकर भी अपने बच्चों को बहुत पढ़ाया। जब सुनील बीएससी द्वितीय वर्ष में था। तब उसकी नौकरी लग गई और उसके घर को एक सहारा मिल गया।सुनील के पिताजी क की एक आंख नहीं थी। जिसके कारण उन्हें देखने में बहुत परेशानी होता थी। गांव के सभी बच्चे बूढ़े एक आंख ना होने के कारण उसे अपमानित करते थे। जिसके कारण सुनील को अपने पिता से बहुत नफरत करता था। सुनील की नफरत दिन-प्रतिदिन बढ़ते गया और कुछ वर्षों बाद सुनील अपने पिताजी को छोड़कर उससे दूर दूसरे गांव में रहने लगा। और शादी कर लिया। वह अपने पिताजी को कभी नही मिला ना ही उसके बारे मे हालचाल जानने की कोशिश किया।
इस बात को सोच-सोच कर उसके पिताजी बीमार पड़ गए।वर्षों बाद सुनील को एक पत्र मिला जो उनकी मृत्यु के बाद प्राप्त हुआ।
सुनील अपने पिताजी का पत्र मिला उसे पढ़ना शुरू किया उसमें लिखा था।बेटा सुनील मुझे तुमसे या मेरी जिंदगी से कोई शिकायत नहीं मेरी एक आंख ना होने से तुम मुझे जिंदगी भर नफरत करते रहे। मगर मैंने एक आंख ना होने का कारण कभी नहीं बताया। जब तुम छोटे थे तो खेलते वक्त एक लकड़ी का टुकड़ा आंख में घुस गया और तुम्हारा आंख खराब हो गया। डॉक्टर ने बताया कि बचपन में आंख कहीं से मिल जाए तो ठीक हो सकता है। मैंने एक पल भी देर ना करते हुए ।तुम्हे अपना आंख दिया और तुम ठीक हो गए। मैं यह बात तुमको कभी बताना नहीं चाहता था ।लेकिन जिंदगी भर मुझे नफरत ना करो इसके लिए मुझे बात बताना पड़ा। सुनील यह सब जानकर अपने आप से नफरत हो गई।उसे वह सारी घटना याद आ गई जिससे वह अपने पिताजी को नफरत से बोला करता था।सुनील को समय बीत जाने पर पिता के किए बलिदान का महत्व समझ में आया।
✍️पुष्पेंद्र कुमार कश्यप सक्ति
निनिम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार दीजिए
1 विलोम शब्द लिखिए
अनपढ़, नफरत, मृत्यु,
2 सुनील का एक आंख कैसे खराब हो गया।
3 सुनील अपने पिताजी से नापसंद क्यों करते थे।
4 इस पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है।
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