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🌹 *मेहनत का फल*🌹

             मेहनत का फल

जांजगीर नगर के पास स्थित एक गाँव में  मंगल नामक गरीब किसान रहता था। उसके पास जीविकोपार्जन के लिए  लगभग एक एकड़ कृषि भूमि थी, जिसमें वह खेती किया करता था। खेती से हुई आमदनी एवं शासन द्वारा कभी-कभी  चलाए जाने वाले राहत कार्यों में काम करने से प्राप्त हुई मजदूरी के सहारे उसके परिवार का कठिनाई से जीवन-यापन हो  रहा था । किसान के परिवार में उसकी आज्ञाकारी सुशील पत्नी और एक बहुत सुंदर पुत्र था। पुत्र का नाम उन्होंने बड़े प्यार से राहुल रखा था। राहुल दोनों पैरों से बचपन से ही दिव्यांग था इसलिए किसान  राहुल के भविष्य के लिए बहुत चिन्तित रहता था। पढ़ाई योग्य होने पर राहुल को गाँव की पाठशाला  में पढ़ने भेजा।

दिव्यांग होने की वजह से राहुल आम बच्चों के समान उछल-कूद, भाग-दौड़ नहीं कर सकता था, इसलिए किसी ने भी उसे अपना मित्र नहीं बनाया। प्रायः सभी बच्चे उसके पैरों को कटाक्ष कर हमेशा उसका मजाक उड़ाया करते थे। लाचार राहुल अपना मन मसोसकर रह जाता था, परंतु उसने दृढ़तापूर्वक अपने मन में यह ठान लिया कि उसे अच्छी पढ़ाई कर अपने जीवन में कुछ ऐसा करना है,जिससे उसके माता-पिता और स्वयं उसका नाम रोशन हो सके। राहुल खूब मन लगाकर पढ़ाई करता था ,इसलिए सभी शिक्षक उसे बहुत चाहते थे और उसकी भरपूर मदद किया करते थे। मेधावी छात्र होने के कारण उसे पर्याप्त छात्रवृत्ति मिल जाने से पढ़ाई में किसी प्रकार का व्यवधान नही आया। वह ध्यानपूर्वक पढ़ाई-लिखाई करते हुए अपना सारा वक्त गुजारता था, जिसके फलस्वरूप राहुल ने  शालेय शिक्षा प्राविण्य अंकों के साथ उतीर्ण कर अपनी शाला और गाँव का नाम रोशन किया । 

 

शहर के महाविद्यालय में प्रविष्टि लेकर उसने आगे पढ़ना जारी रखा। जब वह स्नातक द्वितीय वर्ष का छात्र था, उसी अवधि में शिक्षक पद में भर्ती हेतु निकले विज्ञापन को देखकर राहुल ने भी आवेदन प्रस्तुत किया और उसका चयन शासकीय शिक्षक के पद पर हो गया। उन्होंने पूरी निष्ठा के साथ शिक्षकीय कार्य में नित नवीन प्रयोग करते हुए अपनी शाला के बच्चों को शिक्षा दिया। उसके द्वारा पढ़ाये गए आज सैकड़ों बच्चे शासकीय सेवा से विभिन्न पदों पर आसीन हैं।


एक बार संपूर्ण विश्व में महामारी फैल गई, उस महामारी के दौरान उसने अपने शाला के बच्चों के साथ-साथ पूरे गाँव के बच्चों को पूरी निष्ठापूर्वक शिक्षा उपलब्ध  कराया। उन्होंने अपने शाला भवन  का कायाकल्प किया। इस कार्य हेतु छत्तीसगढ़ राज्य के महामहिम राज्यपाल ने राज्य द्वारा प्रदान किए जाने वाले सर्वोच्च शैक्षिक सम्मान एवं पुरस्कार से राहुल को सम्मानित किया। इस तरह राहुल ने अपने गाँव के साथ-साथ अपने माता-पिता का नाम रोशन किया ।


*शिक्षा- पूर्ण ईमानदारी, निष्ठा और मेहनत से कार्य करने पर असंभव कार्य भी संभव हो सकता है। इसीलिए कहा गया है कि- "मेहनत का फल मीठा होता है।"*


             ✍️पुष्पेंद्र कुमार कश्यप सक्ति


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

इस कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है। 

राहुल के कौन से कार्य से उसे सम्मान मिला। 

किसान कौन से गांव में रहता था। 

कोरोना महामारी कब आया था। 










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