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प्रेम

                               प्रेम

              



बहुत पुरानी बात है, सकरेली नामक गाँव में नेकदिल, धार्मिक विचारों वाली एक बुजुर्ग महिला  (वृद्धा) अपने पति और विवाह योग्य बेटी के साथ, छोटी सी कुटिया में बहुत कष्टमय जीवन व्यतीत करते हुए रह रही थीं ।

एक बार रात्रि के प्रथम प्रहर में तीन अपरिचित अतिथियों ने उस महिला की कुटिया के समीप पहुँचकर रात बिताने के लिए आश्रय (सहारा) मांगने आवाज लगाई। आवाज सुनकर महिला बाहर आईं, तीनों अपरिचित पुरुषों को देखकर महिला बड़ी विनम्रता से बोली- महानुभाव, यद्यपि मैं आप लोगों को नहीं जानती, परंतु आप लोगों को देखकर मुझे प्रतीत हो रहा है कि "आप लोग बहुत दूर से चलकर आए हैं, बहुत थके हुए एवं भूखे- प्यासे भी लग रहे हैं।" कृपया अतिथिगण, हमारी कुटिया में प्रवेश कर अतिथि सत्कार करने का अवसर प्रदान कर हमें कृतार्थ करें तथा भोजन- जलपान ग्रहण कर रात्रि विश्राम कीजिए ।

महिला की बातें सुनकर उनमें से एक पुरुष ने परिचय देते हुए कहा कि- हममें से  एक का नाम प्रेम, दूसरे का नाम सफलता और तीसरे का नाम संपत्ति है तथा हममें से कोई एक ही आपके घर के भीतर प्रवेश कर सकता है, हम तीनों एक साथ किसी के भी घर में प्रवेश नहीं कर सकते। अब आप विचार कर लीजिये और किसी एक को अंदर बुला लीजिये।

महिला कुछ देर सोचने के बाद बोली- आप में जिसका नाम प्रेम है, वह मेरी कुटिया के भीतर आ जाए। प्रेम के घर में प्रवेश करते ही सफलता और संपत्ति दोनों ही प्रेम के पीछे-पीछे घर में प्रवेश कर गये। महिला आश्चर्यचकित होकर विस्फारित नजरों से उन्हें देखती रह गयी, तब प्रेम ने मुस्कुराते हुए महिला को समझाया कि जहाँ प्रेम है वहां सफलता और संपत्ति दोनों ही स्वतः खींचे चले आते हैं, लेकिन जो व्यक्ति सफलता या संपत्ति को अधिक महत्व देते हैं, प्रेम वहाँ प्रवेश नहीं कर सकता।

शिक्षा- हमें सदैव सभी के साथ प्रेम पूर्ण व्यवहार करने चाहिए, तभी हमें सफलता और संपत्ति की प्राप्ति होगी।


पुष्पेन्द्र कुमार कश्यप

सहायक शिक्षक

प्राथमिक शाला सकरेली बा

*7566870487*

विशेष मार्गदर्शक -  श्रीमान मोहन लाल कौशिक जी 


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