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मित्रता

                               लघुकथा 


                             *मित्रता*






 एक गाँव में दो मित्र बचपन से ही साथ में पढ़ रहे थे। दोनों में काफी मित्रता थी।  एक का नाम सुरेश और दूसरे का नाम श्याम था।पढ़ाई पूरा करने के बाद दोनों  ने सोचा की अब हमलोगों को सरकारी नौकरी के लिए शहर जाकर तैयारी करनी चाहिए। दोनों ने अपने- अपने माता- पिता को अपने विचार बतलाये। पर श्याम के माता -पिता नहीं मान रहे थे। क्योंकि श्याम को ठंड के मौसम में और बरसात में भींग जाने पर *दमा* बीमारी का शिकार हो जाता था। ये बात श्याम ने अपने मित्र सुरेश को बोला। तब सुरेश ने श्याम से कहा कि मैं तुम्हारे माता- पिता के पास आकर बात करूँगा। एक दिन सुरेश ने श्याम के  माता- पिता के पास जाकर आग्रह किया कि श्याम को भी मेरे साथ शहर जाने की अनुमति दीजिये। पर उनके माता-पिता नहीं मान रहे थे, उन्होंने श्याम की शारीरिक अस्वस्थता के बारे में जानकारी दी और बोले यहाँ अगर इसकी तबियत खराब होती है तो हमलोग ध्यान देते है वहाँ अगर अचानक तबियत खराब हो जाती है तो हमलोग तो तुरंत पहुँच नहीं पाएँगे। सुरेश काफी समझदार लड़का था वह माता-पिता का दर्द समझ रहा था फिर भी साहस जुटाकर बोला चाची मैं तो उसका बचपन का मित्र हूँ मैं उसकी शारीरिक अस्वस्थता के बारे में थोड़ा बहुत जानता हूँ अगर आप लोगों को मुझपर भरोसा है तो मेरे साथ श्याम को भेज सकते है मैं उसका ख्याल रखूँगा ।श्याम एक अच्छा और मेहनती लड़का है उसको एक मौका दीजिये।

श्याम के माता- पिता काफी सोच विचार कर श्याम को सुरेश के साथ शहर भेज दिए। एक दिन की बात है दोनों मित्र कोचिंग कक्षा से अपने आवास आ रहे अचानक घने बादल घिरने लगे और आसमान में बिजली भी जोर- जोर से चमकने लगी, तुरंत मूसलाधार बारिश भी शुरू हो गईं। तब सुरेश तुरंत अपने बैग से छाता निकलकर श्याम को दिया और उसे बोला की तुम यहीं रूको मैं अभी आया बोलकर भींगता हुआ रास्ते में आने जाने वाले गाड़ी चालकों से हाथ रोककर मदद की  भीख माँग रहा था बहुत देर के बाद एक सज्जन ने गाड़ी तो रोकी पर बोले कि तुम इतना भींगा हुआ है अगर तुमको गाड़ी में  बैठाऊँगा तो मेरी गाड़ी खराब हो जायेगी ऐसा बोलकर आगे निकलने वाला था इतने में सुरेश बोला मैं  नहीं मेरा मित्र बैठेगा फिर अपने मित्र की शारीरिक अस्वस्थता के बारे बतलाया तब वो सज्जन मान गए।गाड़ी में श्याम को बैठा कर सुरेश उस मूसलाधार बारिश में भींगते हुए गंतव्य तक पहुँचा।

इस तरह *सुरेश*श्याम* के माता- पिता को दिये वचन पूरा करते हुए एक सच्चा मित्र का फर्ज निभाया। कभी भी दूसरों को अच्छा करने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहिए।


नागेश्वरी 



टॉपिक:- मित्रता टॉपिक पर एक लघु कथा का निर्माण कीजिए। 

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