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 बिटियाँ रानी

दादी-पोती का प्यार ….

हमारे जमाने मे ऐसा साड़ी कहाँ मिलती थी , बस सुती की 5 मीटर की साड़ी और ब्लाउज भी हम अलग की पहना करते थे ।

और उलट-पलट कर देखने लगी …फिर दादी ने कहा, कितनी सुंदर है ।


बिटिया रानी

जीवन मे हर रिश्ता जैसे अनमोल होता है ,वैसे ही हर उम्र की अलग ही खूबसूरती होती है ।

हमेशा लोगो को कहते सुना है अब तो उम्र हो गई ….


दिवाली की सफाई मे विनी की माँ व्यसत थी ,विनी और दादी साथ बैठ कर बाते कर रही थी । विनी को दादी की बाते सुनना बहुत पसंद था ।


थोड़ी देर बाद, विनी की माँ उस कमरे मे आई और सन्दुक से एक साड़ी निकाली …..


ये कहते हुये की, इसके पापा को कितनी बार कहा है , की मै चटख रंग की साड़ी नहीं पहनती ।


बस एक बार ही पहन पाई हूँ इसे … तब से यह सिर्फ सन्दुक की शोभा बढ़ा रही है ।


दादी की नजर तो बस उस साड़ी मे थी।


जैसे विनी की माँ दादी के पास आई …..दादी ने साड़ी अपने हाथ मे ले लिया ।


और उलट-पलट कर देखने लगी …फिर दादी ने कहा, कितनी सुंदर है ।


हमारे जमाने मे ऐसा साड़ी कहा मिलती थी , बस सुती की 5 मीटर की साड़ी और ब्लाउज भी हम अलग रंग की पहना करते थे ।


चटख गुलाबी मे सितारा, कितना सुंदर लग रहा है ….दादी अपने आप मे खो गई थी ।

विनी 14-15 साल की रही होगी उसे दादी की बाते ज्यादा समझ तो नहीं आ रही थी ।


लेकिन इतना तो वह समझ गयी थी, की दादी को वह साड़ी बहुत पसंद आ रही है ।


विनी ने अपनी माँ से कहा ,माँ यह साड़ी दादी को देदो …दादी कितनी खुश हो रही है, देखो।


माँ ने कहा – विनी, दादी को देने की बात नहीं है , यह साड़ी पहनी हुई है …


उपर से रंग, दादी उम्र के लायक नहीं है ।


दादी को अपना उतरन पहना कर, पाप का भागी नहीं बनना ।


विनी ने तुरंत कहा- इससे क्या होता है, किसने तय की है रंग, उम्र के हिसाब से ।


दादी ने बीच मे ही बोला ….

लेकिन मै पहन लूँगी …माँ ने कहा , आपकी जैसी मर्जी माँ जी।


फिर से विनी की माँ अपने काम मे लग गई …


और दादी साड़ी को पहन कर विनी से कह कर अपना बाल बनवाकर, बड़ी सी बिंदी लगाकर तैयार हो गई ।


विनी से दादी ने कहा , जरा देख विनी मै कैसे लग रही हु, विनी हसते हुए बोली…सुंदर।


अपना लाठी निकाल कर दादी , गाँव की गली मे निकली ,मुश्किल से 4-5 कदम चली होगी, की पीछे से अवाज आया ….


दादी को जवानी आ गई है … और हँसने की अवाज आने लगी ।


थोड़ी दुर मे दादी को पड़ोसन मिली , उसने भी कहा कितना भड़कीला रंग पहन लिया है ।


अब दादी वापस घर के तरफ मुड़ गई ।


दादी को थोड़ा उदास देख विनी ने पुछा , क्या हुआ दादी ???


दादी ने बिना कुछ बोले अपनी साड़ी निकाली और उल्टी पहन ली ।

फिर विनी की बगल मे बैठ कर बोली- बाहर जो सुना उसे सुन कर मन आहत हो गया ।


मेरी कमर झुक गई है , उम्र हो चुका है कब से लाठी के सहारे चल रही याद नहीं ….


भूल गई थी आज अपना उम्र …… साड़ी देख कर अपने मन की जवानी को महत्व दिया ।


फिर भी ये साड़ी मै पहनुगी …उल्टी करके और दादी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी …


विनी ने कहा – क्यो दादी हम अपनी खुशी दुसरो के हिसाब से तय करते है।


दादी ने कहा – विनी उम्र हो गई है, तु नई समझेगी……

विनी ने कहा उम्र से ही लोगो का रिश्ता का पता चलता है …. की कौन क्या है ,


मै जब भी दादी कहती हूँ … लोगो की नजर आप पर होती है।


थोड़ी देर मे विनी की माँ , कमरे मे आती है ,जब उनकी नजर विनी की दादी पर पढ़ती है …..


हसते हुए बोलती है , अपने साड़ी उल्टी क्यो पहनी है …. वैसे यह रंग आप पर बहुत फब रही है ।


दादी बस हँस देती है …


विनी जब से थोड़ी बड़ी हुई थी , तब से दादी के बालो के लिए ऊन से फीता बनाया करती थी ।


कैसा भी बने दादी उसे अपने बालो मे लगाया करती है , और बहुत खुश होकर सबको बताती भी थी।


मेरी पोती ने…बनाया है ।

रोज दोपहर मे दादी का पसंदीदा काम था विनी के बालो मे तेल लगाना और जु निकालना …


जो विनी को पसंद ना था ।


गाव मे हर शनिवार बाजार लगता था … विनी और दादी बाजार जरूर जाती।


कभी खिलौने ,कभी पेड़े, तो कभी चुड़िया दोनों साथ मे पहनती , … बाजार मे सब कुछ आता था ।


समय तो बीत ही जाता है ,चाहे अच्छा हो …. चाहे बुरा ।


विनी कब बड़ी हुई पता ही नहीं चला …. एक हफ्ते बाद विनी की शादी है ।


और दादी की तबीयत बहुत खराब हो गई थी ….लेकिन दादी को विनी के शादी का उत्साह बहुत था ।


इतनी बीमार होने के बावजूद शादी की तैयारी के बारे मे जरूर जानकारी लेती …. और होने वाले दामाद कैसा है ।


बार – बार पुछती , हर बार कहती ….. कोई कमी मत करना मेरी बिटिया रानी के लिए ।


विनी दुल्हन बनकर जैसे ही दादी के कमरे मे आशीर्वाद लेने गई … दादी अपने बिस्तर से उठ कर बैठ गई ।


दादी की आंखे नम थी …. और बस इतना बोली सदा खुश रहना ….


आज विनी की दादी नहीं है, इस दुनिया मे … पर उनकी यादे विनी के साथ हमेशा होती है ।


जब भी विनी अपनी बिटिया को खाना खिलाती है … उसे दादी की वो हर निवाला याद आता है …


क्योकि हर निवाले के साथ दादी पशु-पक्छियों का नाम लेती … और खाना खतम होते ही दादी कहती थी ।


मेरा हर कहना मानती है …… मेरी रानी बिटियाँ ।

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