*पढ़ई तुंहर दुआर*
COVID-2019 कोरोना महामारी के भीषण प्रकोप से सारा जहाँ किसी - न - किसी रूप से व्यथित है. जनजीवन स्थिर हो गया है. कोरोना को अब एक वर्ष पूरा हो गया है. कोरोना के दुष्प्रभाव से प्रत्येक जीव जूझ रहा है. कोरोना के कारण यदि गौर किया जाए तो सबसे ज्यादा नुकसान स्कूल -कॉलेज के विद्यार्थियों को ही हुआ है. इसका मतलब यह नहीं है कि अन्य कोई पहलू इससे अनछुए हैं. कोरोना के कहर ने सबको अस्त -व्यस्त करके रख दिया है. इससे हम सभी अच्छी तरह से परिचित हो गए हैं. आइये! हम अपने समक्ष कोरोना के विकराल रूपों की चुनौतियों का सामना किस प्रकार से कर पाए हैं. इस पर दृष्टिगोचर करें.
# पढ़ई तुंहर दुआर योजना :- कोरोना के भयावह रूप को देखकर राज्य सरकार के द्वारा महत्वपूर्ण योजना "पढ़ई तुंहर दुआर" विद्यार्थियों के हित में लाई गई. जो कि शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा पूर्ण तन्मयता के साथ सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया गया. उनकी सक्रियता के प्रभाव से ही स्कूल -कॉलेज के शिक्षकों और प्राध्यापकों के द्वारा सफलता के साथ दायित्वों को वहन किया जा रहा है. आज कोई भी बच्चा पढ़ाई और स्कूल -कॉलेज की गतिविधियों से वंचित नहीं है. नित्य नए -नए आयामों को उपलब्ध किये जाने से बच्चों में बहुत ही स्फूर्ति देखी गयी है. कोरोना हमारे लिए बहुत बड़ी समस्या होते हुए भी एक महान अवसर में तब्दील हो गया है. आज हर बच्चा कोरोना की परिभाषा और उसके बचाव से बखूबी परिचित हो गया है. बच्चा -बच्चा जानने लगा है कि मास्क क्या है, सोशल डिस्टेंशिग एवं सैनेटाइजर क्या है और इसके क्या उपयोग हैं. आज हर कोई कोरोना की सुरक्षा में अपने को सजगता से प्रस्तुत करने लगा है. कोरोना ने लोगों की अच्छी आदत बनने में बहुत मदद की है, यदि हम चुनौतियों या समस्याओं को अच्छे और सकारात्मक रवैये से लें तो हमें हर आपदा अच्छी और सुन्दर लगने लगती है.
कोरोना महामारी के कारण सभी प्रकार की शैक्षणिक संस्थाएँ बंद कर दी गयी. बच्चों को जनरल प्रमोशन दिया गया. नए शिक्षा सत्र में स्कूल और अध्यापन से जोड़े रखने हेतु cgschool.in पोर्टल पर सर्वप्रथम पंजीयन का कार्य किया गया. बच्चों और टीचर का ग्रुप बनाया गया. ऑनलाइन क्लास हेतु कोरोना काल में भी सक्रिय शिक्षकों के द्वारा अतुलनीय योगदान दिया गया. बच्चों को नयी नयी चीजों से जोड़ते गए. इसके लिए बहुत सी सामग्रियाँ पोर्टल में अपलोड किया गया. साप्ताहिक वेबिनार लिए गए. जहाँ बच्चों को पढ़ने हेतु मोबाइल या नेटवर्क की समस्या आ रही थी, वहाँ शिक्षकों ने वालेंटियर्स को तैयार किये और ऑफलाइन अध्यापन कार्य बहुत ही प्रभावकारी तरीके से यथावत संचालित है. बहुत से शिक्षकों ने कॉन्फ्रेंस कॉल के जरिये बच्चों तक स्कूल की पढ़ाई को जोड़े रखा. इस तरह से अलग -अलग जिलों से शिक्षक साथियों ने भिन्न -भिन्न प्रकार से बच्चों को पढ़ाई के एक सूत्र में बांधे रखा है.उनके ये सभी कार्य हम सभी के लिए बहुत ही गौरव की बात है. हमारे उच्चाधिकारियों ने बिना किसी दबाव के इस विपदा की घड़ी में भी धैर्य रखते हुए नए -नए जीवन कौशल पर आधारित वेबिनार, ऑडियो, विजुअल इत्यादि के माध्यम से पालकों और बच्चों तक सकारात्मक संदेश देते रहे हैं और आज पर्यन्त उनके अनुकरणीय कार्य जारी है. शिक्षक दिवस, गुरु पूर्णिमा,स्वतन्त्रता दिवस, दशहरा -दीपावली, बाल दिवस आदि सभी महत्वपूर्ण दिवस पर विशेष कार्यक्रम किया जाना उनके अथक प्रयास का जीवंत उदाहरण है. ऐसी विपदा भरी स्थिति में भी हमारे मनोबल को ऊँचा उठाने का जो आदर्शपरक मिसाल कायम किये हैं उसके लिए हमारी आने वाली पीढ़ियाँ हमेशा कर्जदार होंगी. वे कितने भी प्रयास कर लें पर इस ऋण से उऋण कभी नहीं होंगे. इतिहास साक्षी रहेगा इस बात के लिए कि ऐसी संकट की घड़ी में भी शिक्षकों का बहुत सा समूह योद्धा की भाँति अपना सर्वस्व अर्पित करके बच्चों को ज्ञान ज्योति देने में लगे हुए थे .
नए शिक्षा सत्र में सभी कार्य ऑनलाइन -ऑफलाइन के माध्यम से आसानी से होते गए. किसी प्रकार की कहीं पर कोई समस्या नहीं आई. बच्चों के सीखने के स्तर का मूल्यांकन भी समय -सीमा में पूर्व की भाँति सहजता के साथ किया जा रहा है. कोरोना नाम से लोग अब इतने सतर्क हो गए हैं कि उससे सुरक्षा के सभी उपाय खुद ब खुद करने लगे हैं. किसी को बार -बार बताने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है. इसका सबसे अच्छा प्रभाव यह है कि विभिन्न प्रकार के संचार माध्यमों में जो जरूरी बातें हैं उसे विज्ञापन के जरिये प्रस्तुत करके लोगों तक संदेश को पहुँचाया जाता है. जो कि सरकार की बहुत ही उत्कृष्ट पहल है. अभी की स्थिति में अब चूँकि सभी स्कूलों में टीचर्स की उपस्थिति सुनिश्चित हो गयी है इसलिए अब विद्यार्थी शिक्षकों से और भी अधिक जुड़ाव महसूस करेंगे. शिक्षा सार्थियों की सहभागिता बहुत ही सराहना रही. गली -मोहल्ला की क्लास बहुत ही कारगार माध्यम रहा. इसमें कोई खर्च नहीं था और न ही कोई खतरा. ग्राम समुदाय, अभिभावकों ने इस अभिनव पहल में सबसे ज्यादा अहम भूमिका निभायी हैं. आज पालक -बालक -शिक्षक का संबंध बहुत ही प्रगाढ़ता के साथ सकारात्मक संदेश देते हुए दुनिया के समक्ष मौजूद है. विपरीत परिस्थिति में भी सब ने एक -दूसरे का हाथ थामे रखा, यह निश्चित ही एक महान उदाहरण का परिचायक है.
कोरोना ने आज हमें यह भी संदेश अप्रत्यक्षतः दे दिया है कि प्रकृति ही सर्वमान्य सत्ता है. दैवीय शक्ति को रोकने की किसी में भी सामर्थ्य नहीं हो सकता. प्रकृति को केवल एक ही तरह से मनाया जाना सम्भव है और वह है प्रार्थना.हाँ! प्रार्थना ही सबसे सरल और अचूक औषधि है जिससे असाध्य रोगों पर भी विजय हासिल किया जा सकता है. प्रकृति में जब सम्पूर्ण सृष्टि को सृजन करने की शक्ति है, तो उन्हें नष्ट करने की भी शक्ति है. यह तो उन्हीं परा शक्ति पर निर्भर है कि वे चाहें तो क्षण भर में सब ठीक कर दें या भस्म भी कर दें. इसका सर्वोत्तम उपाय सिर्फ यही है कि हमें प्रकृति के प्रति कृतज्ञ होना होगा. अत्यंत विनम्रता के साथ प्रकृति को आवाहन करने की आवश्यकता है.
कोरोना महामारी का एक सकारात्मक प्रभाव यह भी पड़ा है कि लोगों की प्रतिरोधक क्षमता पहले से ज्यादा मजबूत हो गयी है. वे रोगों से लड़ने -जूझने हेतु कमर कसे हुए हैं. अब हालात इतने अच्छे होते नजर आ रही है कि समस्या के साथ लोगों ने सामंजस्यता स्थापित करना सीख लिया है. ये बात बहुत ही दुःखद है कि बहुतों ने अपनों को खोये हैं और उस दर्द से शायद कभी भी नहीं उबर पायेंगे. क्योंकि किसी के चले जाने से जीवन की गति रूकती तो नहीं है परन्तु उनके नहीं रहने से जीवन निष्प्राण, नीरस और उदासीन हो जाता है. कितनी भी अपने मन को तसल्ली दे दें किन्तु अपनों से बिछोह का अथाह दुःख कभी कम नहीं होगा. कोरोना के विक्रांत रूप और विध्वंसक छवि से आने वाली पीढ़ियाँ हमेशा आजाद हो जाए, इसके लिए वैज्ञानिकों के द्वारा तमाम प्रकार के प्रयत्न किये जा रहें हैं. जहाँ समस्या है, वहीं समाधान भी है. प्रकृति की शक्ति अद्भुत है, वो अवश्य ही जल्द ही सम्पूर्ण सृष्टि की इस पीड़ा की अनुभूति करके वैज्ञानिकों की खोज या आविष्कार को सफल बनाएंगी. जिन्होंने जीवन बनाया है, समस्या से मुक्त करने का काम भी उन्हीं का है. हम इंसान तो ईश्वर के भेजे हुए मात्र एक प्रतिनिधि है. फिर व्यर्थ में ही चिंता से ग्रसित होकर अपना समय बेकार क्यों करते हैं? श्रद्धा, विश्वास, उम्मीद और आस्था वे चमत्कारिक कारक हैं जिनके बल पर व्यक्ति असम्भव कार्य को भी सम्भव बना देते हैं.हमें अपने मन में आशा की किरण जगानी होगी. तभी हम निराशा के अंधकार से स्वतंत्र हो पाएंगे
.ब्लॉग लेखक:- सीमा यादव मुंगेली
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