#आदिवासी सदैव अविष्कारक रहे है ये हमारे छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में दाल परोसने वाला बर्तन है दिखिये ना प्रकृति पूजकों का कितना प्राकृतिक पात्र है।
बस्तर मे आदिवासी समाज दार-झोर / रसायुक्त दाल या सब्जी को परोसने के लिए बांस और पत्तो का ऐसा खूबसूरत पात्र बनाते है। रसीला पदार्थ ज़मीन मे गिरे नहीं इसलिए पत्तों की लाइनिंग महत्वपूर्ण हुनरमंदी है।
दुनिया की उत्पति हुआ तब गंजी बर्तन हंडी का विकास नहीं हुआ था तब से हमारे आदिवासी समुदाय के लोगों ने सामुहिक भोज में (* दार झोर) यानी रसा युक्त दाल या सब्जी को परोसने के लिए बांस से बने टेक्निक का अविष्कार किया ओर आज भी वो परम्परा कहीं न कहीं देखने को मिलता है।
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