धैर्य और शान्ति
लेखक -पुष्पेन्द्र कुमार कश्यप सक्ती
लीलागर नदी के तट पर एक छोटा परंतु बहुत सुन्दर रमणीक और खुशहाल गाँव था ।उस गाँव में श्वेता नाम की एक स्त्री रहती थी जो बहुत ही गुस्सैल स्वभाव की थी ।उसके इस स्वभाव के कारण घर में आए दिन झगड़े और कलह होते रहते थे ।
एक दिन अचानक एक भिक्षुक उस गाँव में भिक्षाटन मांगते हुए श्वेता के घर पर भिक्षा मांगने पहुँचा । श्वेता ने भिक्षुक को भिक्षा प्रदान की और उनसे अपनी व्यथा सुनाई तथा समस्या से मुक्ति पाने के उपाय पूछी ।भिक्षुक ने कहा - बेटी मैं तुम्हें शीशी में एक दवा प्रदान करता हूँ । जिस समय तुम्हें गुस्सा आए तो इस दवा की केवल तीन बूंदें अपनी जीभ में डाल धैर्य व शांतिपूर्वक बैठकर अपने मन में अपनी जिंदगी के सबसे सुखद पल को याद करना ।कुछ दिनों में तुम इस रोग से छुटकारा पा जाओगी, परंतु याद रहे कि दवाई की एक बूंद भी बाहर न गिरे ।
अब गुस्सा आने पर श्वेता भिक्षुक द्वारा दी गई दवा की तीन बूंदें जीभ में डाल कर उनके बताए अनुसार पुरानी यादों में खो जाती ।धीरे-धीरे घर के सारे कलह शांत हो गये, परिवार में सुख समृद्धि तथा खुशियाँ वापस आ गई और परिवार शांतिपूर्वक जीवन -यापन करने लगे ।
कुछ माह बाद वह भिक्षुक पुनः भिक्षा मांगने श्वेता के घर पहुंचा । श्वेता ने आदर सहित भिक्षा देकर कलह निवारक उस शीशी की दवा के बारे में जानने की जिज्ञासा व्यक्त की । भिक्षुक ने बड़ी सहजता से जवाब दिया- बेटी, उस शीशी में सिर्फ पानी था । आश्चर्यचकित होकर वह स्त्री कहती है- पानी से भला यह कलह कैसे ठीक हो गया ।भिक्षुक ने बताया कि मेरे द्वारा दिए गए पानी को दवा मानकर जीभ में तीन बूंदें रखने के बाद श्रद्धा से जो धैर्य धारण कर शांति बनाए रखी, उस धैर्य और शांति ने आपके घर का कलह शांत किया है ।अब श्वेता समझ चुकी थी कि धैर्य और शांति से बड़ी से बड़ी मुसीबत सेग बचा जा सकता है और सभ समस्याएं हल हो सकती है ।
सीख- मुसीबत में कभी अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए, हमें हमेशा शांति व धैर्य बनाए रखना चाहिए ।*
1 Comments
Good job
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