*मैं और मेरी राष्ट्रभाषा हिंदी*
मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है।जिसके पास सही अर्थ में भाषा है।भाषा ही मानव समाज,संस्कृति एवं सभ्यता की प्रगति के मूल में है।हिंदी हमारे देश की राष्ट्रभाषा है। हिंदी की लिपि को देवनागरी लिपि कहते हैं।14 सितंबर 1949 को देवनागरी लिपि यानी हिंदी को संविधान सभा द्वारा अधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकृत किया गया है।
भारत में हिंदी संप्रेषण का व्यापक माध्यम है।भारत में हिन्दी कई प्रकार से पाई जाती है।राजस्थानी(मारवाड़ी,जयपुरी,मेवाती) पश्चिमी हिंदी (खड़ी बोली,ब्रजभाषा, हरियाणवी,बुंदेली), पूर्वी हिंदी (अवधी,बघेली,छत्तीसगढ़ी), पहाड़ी हिंदी (पश्चिमी पहाड़ी,मध्यवर्ती पहाड़ी) है।भारत के अहिंदी भाषी राज्यों में हिंदी की स्पष्टता हिंदी भाषी राज्यों की तरह नहीं है। फिर भी बहुत से लोगों द्वारा हिंदी भाषा का उपयोग किया जाता है।स्वतंत्रता के बाद भारत ने बहुत ही प्रगति की है।आज हिंदी, गणित, रसायन शास्त्र, कृषि, विधि, वाणिज्य, विज्ञान, चिकित्सा, शिक्षा आदि की भाषा बनी है।जिसके परिणाम स्वरूप हजारों की संख्या में नए शब्द बने हैं। तात्कालिन आवश्यकता के कारण भी नए शब्द बने हैं।और पुराने शब्द जैसे-सदन,आकाशवाणी,दूरदर्शन आदि नए अर्थों में प्रयुक्त हो रहे हैं। सिनेमा में 'फिल्माना' शब्द दिया है।राजनीति में 'आया राम गया राम' हिंदी में अनेक नई प्रयुक्तियों का विकास हुआ है। 'खेल बाजार', 'भाव', 'विज्ञापन', 'कार्यालय' आदि की दृष्टि से नए शब्द हिंदी में आए हैं। संकर समास भी खूब बन रहे हैं।जैसे-रेलगाड़ी, अजायबघर,दल बंदी,देश निकाला, पावरोटी,आदि। इस प्रकार नये प्रभावों को ग्रहण कर रही हिंदी शब्द भंडार की दृष्टि से समृद्ध होते जा रही है।
वर्तमान समय में मैं देखता हूं कि हिंदी का विस्तार हर क्षेत्र में होते जा रहा है।जैसे समाजशास्त्र,मनोविज्ञान,शिक्षा,वाणिज्य,विधि,कृषि, गणित,इंजीनियरिंग,अंतरिक्ष के क्षेत्र में हिंदी के शब्दों का भरपूर प्रयोग होने लगा है।जिसके कारण हिंदी का स्तर बढ़ने लगा है।राष्ट्र भाषा हिंदी का महत्व आर्थिक,राजनीति,साहित्य और सिनेमा ने विश्व स्तर पर अपना नाम बनाया है।आज सिनेमा के कारण ही हिंदी की पहुंच विश्व स्तर पर है।तो हिंदी साहित्य के कारण भी विश्व जगत का ध्यान राष्ट्रभाषा हिंदी की ओर आकर्षित है।संयुक्त राष्ट्र संघ में श्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा दिए गए हिंदी भाषण को कौन भूल सकता है?आज विदेशी विश्वविद्यालयों में भी हिंदी भाषा को जानने का प्रचलन बढ़ रहा है।अमेरिका, जापान, फ्रांस, इटली ,कोरिया ,पोलैंड, मॉरीशस, कनाडा, रूस, नेपाल ,श्रीलंका ,फिजी ,भूटान, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिडाड एंड टोबागो और आस्ट्रेलिया जैसे बहुत से देशों में हिंदी भाषा का प्रचलन बढ़ रहा है।हिंदी भाषा, फिजी देश की अधिकारिक भाषा है। हिंदी वहां इसके लहजे को "फिजी हिंदी" या "फिजी बात" कहते हैं। हिंदी विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। सारी दुनिया में भारतीय मूल की बहुत से लोग रहते हैं। इस कारण हिंदी भाषा को सारे विश्व में बोला जाता है। अंग्रेजी और चीनी के बाद राष्ट्रभाषा हिन्दी का स्थान है। राष्ट्र भाषा हिंदी के हितैषी, हिंदी को राष्ट्रीय ही नहीं उससे कहीं आगे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखना चाहते हैं। हिन्दी भाषा को इस स्तर पर लाने के लिए अनेक भाषा वैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता, आर्थिक विश्लेषक, राजनैतिक, शिक्षाविद, शैक्षणिक समस्याओं और समाधानओं पर चर्चा करते रहते हैं। हिंदी भाषा स्वयं को युगानुकूल बनाने में तत्पर है।राष्ट्रभाषा हिंदी का भविष्य निश्चय ही उज्जवल है।
जग में बढ़े हिन्दी,मेरी राष्ट्र भाषा।
यही है एक छोटी सी, मेरी आशा।।
देवेश कुमार "भारती"
प्रदेशाध्यक्ष - छत्तीसगढ़
अखिल भारतीय साहित्य मंथन शोध संस्थान,नई दिल्ली
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