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छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वप्नदृष्टा डॉ खूबचंद बघेल

                       डॉ खूबचंद बघेल


सामान्य परिचय:-

नाम:    डॉ. खूबचंद बघेल (Dr. Khubchand Baghel)
जन्म:   19 जुलाई 1900 
स्थान:  ग्राम पथरी, रायपुर। 
पिता:   जुड़ावन प्रसाद 
माता:   केकती बाई 
पत्नी:    राजकुँवर 
निधन:  22 फरवरी 1969 



 डॉ खूबचंद बघेल


व्यवसाय से चिकित्सक होने के बावजूद डॉ खूबचंद बघेल संस्कारों से कृषक थे उन्होंने छत्तीसगढ़ के कृषि जीवन को नए सिरे से विनयस्त करने का भी अद्वितीय कार्य किया है। डॉ खूबचंद बघेल ने ही कृषि को उद्योग के रूप में स्थापित करने का परिकल्पना की थी डॉक्टर बघेल छत्तीसगढ़ के किसानों और आदिवासी आंदोलनों के प्रेरणा स्रोत थे।

डॉक्टर बघेल का जन्म 19 जुलाई 1900 पथरी गांव में हुआ नागपुर से चिकित्सा की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे राष्ट्रीय आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी निभाने लगे महात्मा गांधी से प्रभावित होकर उन्होंने गांव-गांव जाकर असहयोग आंदोलन का प्रचार किया 1930 में जब महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह शुरू किया तब उन्होंने शासकीय नौकरी छोड़कर उसमें शामिल होने का फैसला किया 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में वे तीसरी बार जेल गए 1942 में एक बार फिर भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के कारण उन्हें ढाई वर्ष की कैद की सजा हुई 1991 में राष्ट्रीय कांग्रेस में मतभेद की वजह से आचार्य कृपलानी के नेतृत्व में किसान मजदूर पार्टी बनी वे इस पार्टी में शामिल हो गए डॉक्टर बघेल 1991 से 1997 और फिर 1965 के चुनाव में विजई हुए 1967 के कांग्रेस में वापसी के बाद वे राज्यसभा के लिए चुने गए।

छत्तीसगढ़ को पृथक राज्य बनाने की मांग के लिए 1956 में छत्तीसगढ़ महासभा का राजनांदगांव में आयोजन किया गया 1967 में राज्यसभा सदस्य डॉ खूबचंद बघेल ने इस विचारधारा को जन आंदोलन का रूप देते हुए रायपुर में छत्तीसगढ़ छात्र संघ का गठन किया उनका एकमात्र संकल्प छत्तीसगढ़ को राज्य बनाना था पर 22 फरवरी 1969 को डॉक्टर बघेल का निधन हो गया उनकी रचनाएं है ऊंच -नीच, छत्तीसगढ़ का स्वाभिमान,

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