*देश भक्त*( लघु कथा)
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एक समय की बात है, देश की सीमा से लगे एक गांव में आतंकवादी ने कब्जा कर लिया और वहां लूटपाट मचा दी। सैनिकों को सूचना मिलने पर सैनिक उनसे युद्ध के लिए तुरंत निकल पड़े। सैनिकों के चलते - चलते घनघोर बरसात हुआ रास्ते पानी से लबालब हो गए ।सैनिकों को आगे चलने में बड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ा। सैनिकों को आगे नदी पार करके वहा गांव तक चलना था ,लेकिन नदी में बाढ़ आने के कारण आगे जा नहीं पा रहे थे। उन्हें नदी पार करने के लिए कोई साधन नहीं मिल रहा था तथा उन्हें अपने हथियारों की भी सुरक्षा का ध्यान रखना था और पीछे भी नहीं लौट पा रहे थे। सैनिकों को अचानक घनघोर बरसात और काली रात्रि में एक आशा की किरण के रूप में सुनसान घर दिखाई दिया जहां सैनिक पहुंचे और वहां जाकर बूढ़ी औरत को रसोई घर में खाना बनाते देखा, बुढ़िया ने सैनिकों को बुलाया और आगमन का कारण पूछा सैनिकों ने बुढ़िया औरत से अपने आने का कारण बताया तब बूढ़ी औरत ने सैनिकों को अपने घर के छत का लकड़ी दिया जिससे सैनिक लकड़ी को नाव जैसा रूप देकर नदी पार कर लिया और आतंकवादी को उस गांव से खदेड़ दिया।
बूढ़ी औरत ने सिद्ध किया कि देश प्रेम और देश भक्ति से बड़ा कोई धर्म नहीं है देश है तो हम हैं, ऐसा मानकर देश की सेवा करना चाहिए। बूढ़ी औरत को ज्ञात था कि घर पुनः बनाया जा सकता है लेकिन उस गांव को उन आतंकवादियों से मुक्ति दिलाना बहुत ही आवश्यक था, इसलिए बूढ़ी औरत ने बिना देर किए अपने देशभक्ति का परिचय दिया।
पुष्पेंद्र कुमार कश्यप
सहायक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक शाला सकरेली बाराद्वार ,सक्ती (छत्तीसगढ़)
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