सफलता उन्हीं को मिलती है जो समर्पण और ईमानदारी से कार्य करते हैं प्रधान पाठक
श्रीमती श्रद्धा महानंद
प्रधान पाठिका
शासकीय प्राथमिक शाला खट्टाडीह
संकुल - टेमरी(अ)
विकासखंड बागबाहरा
जिला महासमुंद
सफलता उन्हीं को मिलती है जो समर्पण और ईमानदारी से कार्य करते हैं।यह कथन प्रधान पाठिका श्रद्धा महानंद जी पर बिल्कुल उपयुक्त बैठता है। वर्तमान में प्रधान पाठिका के रूप में शासकीय प्राथमिक शाला खट्टाडीह में पदस्थ है।
विद्यालय को शिक्षा के नए आयाम देने और बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।
बच्चों के लिए विद्यालय को आकर्षक बनाने हेतु प्रधान पाठक पद पर कार्यभार ग्रहण करते ही शाला अनुदान का सदुपयोग करते हुए एवं ग्रामीणों के सहयोग से विद्यालय को प्रिंटरिच रूप दिया गया इससे बच्चे विद्यालय के प्रति आकर्षित हुए विद्यालय का वातावरण साफ सुथरा एवं आकर्षक बना कम दर्ज होने के कारण सीमित अनुदानों के आने के बावजूद प्रधान पाठक की बच्चों के प्रति कुछ विशेष करने की छह के कारण विद्यालय को इस तरह का रूप प्राप्त हुआ इससे ग्रामीण बहुत आकर्षित हुए पालकगण बहुत आकर्षित हुए विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति नियमित हुई बाहर से आने वाले लोग स्कूल के जगह पर रख कर स्कूल की सौंदर्यता का चर्चा करने लगे फोटो खींचने लगे इस आकर्षण का लाभ यह हुआ कि अब ग्रामीण पूरी तरह से विद्यालय के साथ जुड़कर विद्यालय से कंधे कंधे से कंधा मिलाकर विद्यालय के कार्यों में सहयोग करते हैं और बच्चे भी बड़े खुशी-खुशी अपने विद्यालय पर आकर पढ़ते हैं और अपने आप को गौर्ववान्वित महसूस करते हैं ।
1. FLN (Foundational Literacy & Numeracy) में योगदान उन्होंने विद्यालय में FLN गतिविधियों को प्रभावी ढंग से लागू किया।
बच्चों की पढ़ने-लिखने और गणना करने की क्षमता को मज़बूत करने हेतु खेल-आधारित गतिविधियों, कहानी, गीत और चित्रों का उपयोग किया।
कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों के लिए विशेष वर्कशीट और गतिविधि आधारित अभ्यास कराए, जिससे बच्चे बुनियादी दक्षताओं में सक्षम हुए।
2. बालवाड़ी का संचालन
विद्यालय की बालवाड़ी को आकर्षक और बच्चों के अनुकूल बनाया।
खेल-खेल में सीखने की पद्धति अपनाकर छोटे बच्चों में सीखने की रुचि बढ़ाई।
रंग-बिरंगे चार्ट, खिलौने, पज़ल्स और गतिविधियों से बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया।
3. TLM (Teaching Learning Material) निर्माण
उन्होंने स्थानीय सामग्री से कई नवाचारी TLM तैयार किए।
कठिन विषयों को सरल बनाने के लिए चार्ट, फ्लैशकार्ड, गणितीय खेल, शब्द-पहेलियाँ और मॉडल बनाए।TLM प्रदर्शनी में विद्यालय के कार्यों को प्रस्तुत कर बच्चों व अभिभावकों दोनों को प्रेरित किया।
4. पालक संपर्क और समुदाय सहयोग
अभिभावकों से लगातार संवाद स्थापित कर विद्यालय और बच्चों की प्रगति पर चर्चा की।SMC (School Management Committee) की बैठकों में सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित की।बच्चों की नियमित उपस्थिति, स्वच्छता और शिक्षा की गुणवत्ता के लिए अभिभावकों को प्रेरित किया।
5. विद्यालय विकास में योगदान
विद्यालय परिसर को स्वच्छ, सुंदर और बच्चों के लिए आकर्षक बनाने में विशेष योगदान दिया।वृक्षारोपण, पोषण आहार जागरूकता, बालसभा और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया।श्रद्धा महानंद जी ने अपनी मेहनत, लगन और नवाचारों से विद्यालय को प्रेरणादायी मॉडल के रूप में स्थापित किया। उनका लक्ष्य केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं, बल्कि बच्चों के सर्वांगीण विकास, अभिभावक सहभागिता और विद्यालय को प्रगतिशील बनाने पर केंद्रित रहा है।उनकी यह यात्रा न केवल विद्यालय के लिए, बल्कि पूरे समुदाय के लिए सफलता की मिसाल है।
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