पॉडकास्ट:- *अमित कुमार उइके के साथ ज्ञान की उड़ान*
एपिसोड : *"चाँद पर स्कूल"*
एक बच्चे के काल्पनिक सोच और चाँद से जुड़े रोचक और मजेदार बाते
*जिसमें हम करेंगे कहानी की काल्पनिक सोच और उसके पीछे के छुपे वैज्ञानिक पहलुओं पर बाते, हमारे पॉडकास्ट में हमारे पैनलिस्टों के साथ*
नमस्ते बच्चों!
स्वागत है आपका *"ज्ञान की उड़ान"* में – जहाँ हम करते हैं कल्पनाओं की उड़ान और सीखते हैं अंतरिक्ष की अच्छी बातें।
आज हम ले चलेंगे आपको… चाँद पर! जी हाँ, वहाँ जहाँ रात को आसमान में एक चमकती हुई टिकली सी दिखती है।
कहानी का नाम है – "चाँद पर स्कूल" 🌕
एक दिन आरव नाम का बच्चा सपना देखता है –
वह एक रॉकेट में बैठकर उड़ जाता है… और पहुँच जाता है चाँद पर!
चाँद पर उतरते ही वह देखता है एक अजीब सा स्कूल। वहाँ के बच्चे उड़ते-फिरते हैं, उछलते-कूदते हैं। क्यों?
क्योंकि चाँद पर गुरुत्वाकर्षण बहुत कम होता है ।
आरव जब वहाँ चलता है, तो ऐसा लगता है जैसे वो उछल-उछल कर हवा में तैर रहा हो। वहाँ का स्कूल बिल्कुल अलग है। क्लासरूम में कुर्सियाँ नहीं, बल्कि तैरते हुए पॉड्स हैं।
बच्चे चाँद की चट्टानों को छूकर पढ़ाई करते हैं। वहाँ की ज़मीन धूल और पत्थरों से भरी है – जो दिखते हैं ग्रे रंग के और जिनमें सिलिका, एलुमिनियम और ऑक्सीजन मिले होते हैं।
टीचर एक ग्लास हैलमेट पहनकर कहती हैं –
"बच्चों, याद रखो – चाँद पर कोई हवा नहीं होती, ना पानी, और ना ही ऑक्सीजन। इसलिए हमें हमेशा अपने स्पेस सूट पहनकर रहना होगा!"
आरव को चाँद पर पढ़ाई बहुत मजेदार लगी। पर उसे अपने दोस्तों और माँ-पापा की याद आने लगी।
फिर वह वापस अपने रॉकेट में बैठा… और उड़ चला घर की ओर।
सुबह उठते ही वह मुस्कराया –
"क्या सच में कभी चाँद पर स्कूल खुलेंगे?"
कौन जाने… सपने ही तो सच की शुरुआत होते हैं!
तो बच्चों, आपको कैसी लगी चाँद की यह सैर?
बच्चो की ऐसी काल्पनिक सोच ही आने वाले समय में नए वैज्ञानिक आविष्कारों को जन्म देती हैं।
*तो आइए बच्चो को पंख लगाए और ज्ञान की उड़ान में उड़ने दे*
🙏किसी प्रकार का सुझाव हो तो हमे जरूर बताइएगा 🙏
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