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लोककला संस्कृति

 


सुआ नृत्य / गौरा-गौरी नृत्य :-


 देवार जनजाति की महिलाओं द्वारा यह नृत्य किया जाता है।

यह नृत्य दीपावली के समय किया जाता है।

इसमें केवल महिलाएं भाग लेती है।

इसे गौरा नृत्य भी कहते है। इसमें मिट्टी के तोते बनाकर चारो ओर पापड़ी बजाकर नृत्य करते है।

दोनों तोता शिव पार्वती का प्रतीकात्मक स्वरूप माना जाता है। इस गीत को मुकुटधर पाण्डेय ने छ.ग. का गरबा नृत्य कहा है।


पंथी नृत्यः-


छ.ग. अंचल में सतनाम पंथ के लोगों द्वारा यह नृत्य किया जाता है।

प्रमुख नाचाकार स्व देवदास बंजारे।

प्रमुख वाद्ययंत्र :-मांदर व झांझ


 राउत नाचा:- 

राउत नाचा छ.ग. के बिलासपुर जिले में होता है।

राउत नाचा कार्तिक माह में देवउठनी के दिन बिलासपुर के देवकी नंदन सभागृह में आयोजन होता है।

दीपावली उत्सव के दौरान राउत नाचा किया जाता है। बिलासपुर में रावत नाचा 1978 में प्रारंम्भ हुआ था।

वर्तमान (2016) में 38 वें नंबर का राउत नाचा महोत्सव का आयोजन हुआ है।

राउत नाचा भगवान कृष्ण के पूजा के प्रतीक के रूप में किया जाता है। इसमें केवल पुरुष ही भाग लेते हैं जो कि महिलाओं का भी रूप धारण करते हैं।

मातर त्यौहार राउत लोग मनाते हैं।

यह नृत्य कार्तिक प्रबोधनी एकादशी से प्रारंभ होकर यह नृत्य एक पखवाडे तक चलती है। 

राउत नाचा शौर्य कलात्मक प्रदर्शन है।


ददरिया :-


छ.ग. के लोकगीतों का राजा कहते हैं।

सवाल-जवाब शैली पर आधारित होता है।

फसल बोते समय युवक-युवतियों द्वारा अपने मन की बात को पहुंचाते हैं।

यह श्रृंगार प्रधान होता है।

ददरिया को प्रेम गीत / प्रणय (Love Song) के रूप में जाना जाता है।  बैगा जनजाति ददरिया गीत के साथ नृत्य भी करते हैं।

. ददरिया की स्वीकृति छत्तीसगढ़ी लोक जीवन और साहित्य में प्रेम काव्य के रूप में हुई है।

कलाकार:- (i) लक्ष्मण मस्तूरिया, (ii) दिलीप षडंगी. (iii) केदार यादव।


 भोजली गीत- रक्षाबन्धन के दूसरे दिन भावों माह कृष्ण पक्ष के प्रथम दिन होता है। भोजली गीत में गंगा का नाम बार-बार आता है। गीत- आ हो देवी गंगा, ओ देवी लहर गंगा ।


बांस गीत:-

यह एक दुख या करूण का गीत है जो छ.ग. में राउत जाति द्वारा गायी जाती है। बांस गीत में महाभारत के पात्र कर्ण और मोरध्वज व शीतबसंत का वर्णन होता है। इसमें रागी, गायक और वादक तीनों होते हैं। . कलाकार - केजुराम यादव, नकुल यादव


 जंवारा गीत:- चैत्र नवरात्री में जंवारा गीत गाया जाता है और जंवारा निकाला जाता है।


सेवा गीतः- नवरात्री के समय देवी पूजा पर गाया जाता है।


गोपल्ला गीत - कल्चुरी वंश से संबंधित है।

. कबीर गायन के लिए प्रसिद्ध कलाकार भारती बन्ध है।

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