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मूर्ख सेवक

                          मूर्ख सेवक






एक जमीदार के महल में रामू सेवक के रूप में रहता था। वह जमीदार का बहुत विश्वासपात्र था बिना रोक-टोक के कहीं भी महल में घूम सकता था। एक दिन जब जमीदार सो रहा था और रामू पड़खा झल रहा था तो रामू ने देखा, एक मक्खी बार-बार जमीदार के पेट में बैठ जाता था। पंखे से बार-बार हटाने पर भी वह मानती नहीं थी , उड़कर फिर वही बैठ जाती थी। 

रामू को क्रोध आ गया। उसने पंखा छोड़कर हाथ में तलवार ले ली और इस बार जब मधुमक्खी  जमीदार के पेट पर बैठी तो उसने पूरे बल से मक्खी पर तलवार ले ली और  मक्खी जमीदार के पेट पर बैठी तो उसने पूरे बल से मक्खी पर तलवार का हाथ छोड़ दिया। 

मक्खी तो उड़ गई किंतु जमीदार की पेट  तलवार की वार से टुकड़ों में बट गई। जमीदार मर गया। 


शिक्षा :"मूर्ख मित्र से आपेक्षा विद्वान शत्रु ज्यादा अच्छा होता है। "


               ✍️पुष्पेंद्र कुमार कश्यप सक्ति



निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए


1 विलोम शब्द लिखिए मुर्ख, सेवक ,राजा

2 मधुमक्खी किसके पेट पर जाकर बैठ गई। 

3 जमीदार का पेट  कई टुकड़ो में क्यों बट गया? 

4 जमीदार के सेवक का नाम क्या था? 

5 इस कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलता है? 


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