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विनम्रता

 सच्चरित्र व्यक्ति उसे कहा जाता है जिसका आचरण हर तरह से श्रेष्ठ हो अगर व्यक्ति में निर्भरता एवं विनम्रता का कोड नहीं है तो उसे पूरी तरह से सच्चरित्र नहीं कहा जा सकता आदर्श व्यक्ति के लिए यह दोनों ही गुण परिहार है निर्भरता सत्य के पालन से आती है अगर हम अपने सभी कर्तव्य ठीक से निभाते हैं और हम से अपने दोस्तों को स्वीकार करने का प्रवृत्ति है तो हमारे अंदर निर्भरता और विनम्रता के गुणों का विकास हो सकता है। निर्भरता का मतलब उद्दंडता या अकड़ पन नहीं होता। उद्दंडता मानव स्वभाव का दुर्गुण है जबकि निर्भयता एक अच्छा गुण है।

    की तरह विनम्रता भी एक महान गुण है विनम्रता को कायर पन समझने की त्रुटि नहीं करना चाहिए निर्भय और विनम्र आदमी में सत्य को स्वीकार करने की क्षमता होनी चाहिए।अगर कोई 6 फुट लंबा व्यक्ति अपनी लंबाई 5 फुट बताएं तो उसे विनम्र नहीं कहा जाएगा कोई महान संगीतकार अगर कहे उसे संगीत नहीं आता तो वह झूठा ही कहलाएगा ना कि विनम्र।अपने गुणों को सही रूप में स्वीकार करना और दूसरों के गुणों को आदर करना ही विनम्रता की पहचान है मानव में कुछ कमियां होनी भी स्वभाविक है अक्सर हम से जाने अनजाने में गलतियां हो ही जाती है ऐसी स्थिति में हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपनी गलती स्वीकार करें इतना ही नहीं जिसके प्रति हम कुछ भी गलत हुआ है उसे क्षमा याचना भी हमारा कर्तव्य बनता है।घर में कोई काम करते हुए या खेलते हुए हमसे कोई चीज टूट फूट जाती है अगर हम अपनी गलती छिपाने का प्रयास ना करें और विनम्र शब्दों में अपनी गलती स्वीकार कर ले तो घरवाले अधिक नाराज नहीं होते कभी-कभी ऐसे में हमें डांट भी पड़ सकती है या मार भी पड़ सकती है पर तुम महसूस करोगे कि घरवालों का गुस्सा ज्यादा देर नहीं टिकता इसका कारण यही है कि घर वाले हमारी विनम्रता और निर्भरता के गुण का आदर करते हैं।



विनम्रता कई तरह से हमारे जीवन में सहायक होती है अपने से योग्य और समर्थ व्यक्ति के सामने झुकना अपमान की बात नहीं है यह हमारी विनम्रता को ही दर्शाता है एक नदी के किनारे कई तरह के पेड़ लगे थे उन पेड़ों में एक आम का पेड़।आम का पेड़ स्वभाव से बहुत घमंडी था उसे किसी के सामने झुकना मंजूर नहीं था उसके पास में ही एक बांस का पेड़ था बेल का पेड़ बहुत विनम्र स्वभाव का था जरा सी भी तेज हवा चलती तो वेद की कहानियां झुक जाती और फिर सीधी हो जाती।आम का पेड़ वेद के स्वभाव को बहुत मजाक उड़ाता था उसे कायर बोलता था आम का पेड़ कितनी भी तेज हवा चले या आंधी तूफान आए कभी नहीं झुकता था हमेशा तना हुआ खड़ा रहता था वह वेद के पेड़ से कहता तुम बहुत डरपोक हो।जरा सी हवा में झुक जाते हो कोई भी तुम्हें पकड़ कर झुका देता है तुम्हें अपने ऊपर लज्जा नहीं आती। बेल के पेड़ मिलकर कहते झुकने में बुराई क्या है हम लोगों को तो उसमें कोई हानि नजर नहीं आती।


आम का पेड़ अपेक्षा से उनकी ओर देखता और तना हुआ खड़ा रहता।

अचानक एक दिन जोर का आंधी तूफान आया मौसम इतना खराब हो गया कि नदी में बाढ़ आ गई नदी के पानी की गति भी बहुत तेजी से बढ़ रही थी और उसका स्तर भी ऊंचा होता जा रहा था तूफान भी अपने जोरों पर था सारे पेड़ हिलने लगे टहनियां एक दूसरे से टकराने लगी बेल के पेड़ तो विनम्र थे वह बार-बार झुकते रहते हैं लेकिन आम का पेड़ था ना खड़ा था रात भर लहरों के थपेड़े और तूफान चलता रहा आम का पेड़ आखिरकार सुबह तक टूट कर गिर गया सुबह जब मौसम साफ हुआ तो आपका पेट तो टूटा पड़ा था और वेद की पेड़ जो करते हो लहराते हुए खड़े थे।




आम के पेड़ को अपनी गलती का एहसास हुआ आंखों में आंसू लिए उसने वेद के पेड़ों से क्षमा मांगी दोस्तों मुझे माफ करना मैं ही गलती पर था अगर मुझ में झुकने की विनम्रता होती तो आज मैं टूट कर ना गिरा होता बल्कि तुम लोगों की तरह लहरा रहा होता।

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