रतनपुर राज के 18 गढ़
इतिहासकारों के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य दो मुख्य भागों शिवनाथ के उत्तर में "रतनपुर राज' और दक्षिण में "रायपुर राज' में बंटा था। हर राज के 18-18 गढ़ थे। अतीत के आईने में समृद्धि का गौरवशाली इतिहास सिमटा है। आइए जानें अपने राज्य के खास पहलू
1. रतनपुर
पहाड़ियों के बीच 11066 एकड़ में फैला है। महाभारत में र|ावलीपुरी के रूप में उल्लेख है। कल्चुरी नरेश र|देव ने तुम्माण से राजधानी यहां लाकर बसाई थी। यहां स्थित रामटेकरी में राम पंचायतन मंदिर, वृद्धेश्वरनाथ मंदिर, भैरव मंदिर, मां महामाया, सत्ती चौरा आदि प्रसिद्ध हैं।
2. मारो
मारो 326 गांवों की राजधानी थी। आज भी वहां 9 एकड़ में फैला एक किला है जो चारों तरफ से खाई से घिरा है।
3. विजयपुर
विजयपुर बिलासपुर से करीब 25 किमी दूर है। मनियारी नदी व आसपास खुदाई में सदियों पुरानी प्रतिमाएं मिली हैं।
4. नवागढ़
पहले गोंड राजाओं की राजधानी थी। मंदिर में प्राचीन शिलालेख है। छोटा किला और खाइयों के अवशेष मिलते हैं।
5. कोटगढ़
अकलतरा-बलौदा सड़क पर गांव है। यहां मिट्टी का एक पुराना किला है। भीतर मंदिरों के खंडहर और शिलालेख मिलते हैं।
6. ओखर
मस्तूरी ब्लॉक का यह गांव रतनपुर का एक गढ़ रहा है। यहां मिट्टी का एक किला है, जिसके चारों ओर खाई बनी है।
7. सोंठी
सक्ती के पास स्थित इस गांव में पुराना किला है। रतनपुर राज्य के दौरान यहां से प्रशासनिक कार्य संचालित होते थे।
8. पंडरभट्ठा
मुंगेली जिले के इस गांव का यह गढ़ सामरिक महत्व का था। यहां राजा के सैनिकों और अफसरों का आना-जाना था।
9. मदनपुर (चांपा)
बिलासपुर हावड़ा लाइन पर यह हसदो नदी के तट पर बसा है। आजादी के पहले जमींदारी का मुख्य स्थान रहा है।
10. खरौद
महानदी के तट पर बसा है। शिलालेख के अनुसार यहां शिवजी का मंदिर, साधुओं का मठ, धर्मशालाएं, बगीचे और उद्यान हैं।
11. सेमरिया
बेमेतरा जिले में साजा ब्लॉक के पास है। रतनपुर राज में यह एक जमींदारी थी। यह क्षेत्र राजा का एक गढ़ भी था।
12. कोसगंई (छुरी)
बिलासपुर से 50 मील दूर इस गांव में 2000 फीट ऊंची टेकरी है। वहां पत्थर का एक किला है। उपराजधानी भी रही है।
13. लाफा
यह चैतुरगढ़ के नाम से भी प्रसिद्ध है। मैकल पर्वत की सबसे ऊंची (3240 फीट) चोटी है। यहीं 3 दरवाजों वाला किला है।
14. केंदा
गौरेला और पेंड्रा से लगा हुआ यह गांव है। यहां का किला रतनपुर राज्य की सीमा में था।
15. मातिन
इस किले के अधीन रतनपुर राज्य के 84 गांवों की देखरेख की जाती थी।
16. उपरोड़ा
इसे पोड़ी उपरौरा नाम से भी जानते हैं। यहां राजा के बनाए किले से आसपास के 84 गांवों में प्रशासन किया जाता था।
17. कंडरी (पेंड्रा)
अमरकंटक सीमा से लगे इस गांव को अब पेंड्रारोड कहा जाने लगा है।
18. करकटटी
रतनपुर राज का एक बड़ा हिस्सा इसके अंतर्गत रहा है। यहां के किले से 700 गांवों का प्रशासन चलाया जाता था।
रोमांचक यात्रा हमारे
गढ़ों की
1. रायपुर
अभी छत्तीसगढ़ की राजधानी है। बूढ़ातालाब के पास पहले एक किला था। आजकल इस स्थान को ब्रह्मपुरी कहते हैं। यहीं से महाराजबंद तालाब लगा हुआ है। यहां कंकालीतालाब और दूधाधारी मंदिर ऐतिहासिक महत्व के हैं।
2. पाटन
इसका पुराना नाम भांगपुर पाटन था। पाटन राज के नाम से भी जाना जाता है। दुर्ग से 20 किमी पर स्थित है।
3. सिमगा
रायपुर से 45 किमी दूर महत्वपूर्ण गढ़ था। यहां से आसपास के 84 गांवों में राज्य संचालन किया जाता था।
4. सिंगारपुर
यह किला राजनांदगांव जिले में है। रूसे, आल्हानवांगांव, मरकाटोला समेत 84 गांव का प्रशासन यहां से चलता था।
5. लवन
कसडोल विधानसभा में लवन गांव है। रायपुर राज के समय इसके अंतर्गत 252 गांवों का प्रशासन चलता था।
6. उमेरा (अमीरा)
रायपुर राज के 84 गांव इस किले के अधीन थे। यहां से इन गांवों में प्रशासन के सारे काम होते थे।
8. सरधा
रायपुर राज के अंतर्गत आने वाले इस किले में आसपास के 84 गांव आते थे। इसका उस समय सामरिक महत्व था।
7. दुर्ग
शिवनाथ के किनारे बसे दुर्ग को पहले शिव दुर्ग या दुरुग कहा जाता था। 10वीं शताब्दी में राजा जगपाल ने इसकी नींव रखी थी। इसके अंतर्गत 700 गांव आते थे। यहां मिले मिट्टी के किले इसके प्रमाण हैं।
9. सिरसा
इसे जेवरा सिरसा कहा जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक यह गढ़ तथा भाई-बहन का मंदिर ऐतिहासिक महत्व के हैं।
10. खल्लारी
पुराना नाम खल्वाटिका था। 1415 ईस्वी में हैहयवंशी राजा हरि ब्रह्मदेव की राजधानी थी। घाटियों में बसा है।
11. मोहदी
रायपुर के राजा ने यहां जमींदार बना रखा था। वह आसपास के 84 गांवों से मालगुजारी लेकर शासन भी करता था।
12. सिरपुर
विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर और बौद्ध विहार इसकी पहचान है। यह दक्षिण कोशल की राजधानी रही है।
13. फिंगेश्वर
यह एक स्वतंत्र गढ़ रहा है। यहां फणिकेश्वरनाथ महादेव का प्राचीन मंदिर है। महल और किले भी हैं।
14. राजिम
छत्तीसगढ़ का प्रयाग के नाम से प्रसिद्ध। तीन नदियों महानदी-सोंढुर-पैरी का संगम है।
15. सिंघनगढ़
इसे पहले कुंवर अछरिया भी कहा जाता रहा है। यहां से 84 गांवों मे शासन होता था। मेले के लिए प्रसिद्ध है।
16. कोमाखान
पहले इसे सुअरमार भी कहते थे। इतिहासकारों के मुताबिक यहां के गांव पिछड़े थे। खेती के साथ शिकार होता था।
17. टेंगनागढ़
रायपुर राज के अंतर्गत यह किला आता था। यहां से आसपास के 84 गांवों में शासन किया जाता था।
18. अकलतरा
अकलबाड़ा भी कहते थे। रायपुर राज का विस्तार यहां तक था। यहां के 84 गांवों में शासन किया जाता था।
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