कुपोषण
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छत्तीसगढ़ में कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर आगामी 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के 150 वी पुण्यतिथि पर प्रदेश व्यापी मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का शुरुआत किया गया।अभियान के तहत जन्म से 5 वर्ष तक के बच्चों और गर्भवती महिलाओं सहित 15 से 49 आयु वर्ग की महिलाओं को कुपोषण और एनीमिया से आगामी 3 वर्षों में मुक्ति दिलाने का लक्ष्य रखा गया है।
गौरतलब है कि वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ कुपोषण के मामले में केंद्र सरकार के उच्च फोकस वाले राज्यों की सूची में शामिल है। छत्तीसगढ़ निर्माण के समय कुपोषण दर 47 फ़ीसदी से अधिक था जो वर्ष 2017 में घटकर 37.7 फीस दी हो गई है हालांकि अब स्थिति बदली है लेकिन अब भी राज्य में कुपोषण की स्थिति चिंताजनक है।
आज छत्तीसगढ़ में कुपोषण की स्थिति
राज्य सरकार कुपोषण की जांच के लिए वजन त्यौहार का आयोजन करती है वर्ष 2018-19 मैं फरवरी 2019 में आयोजित वजन त्यौहार के दौरान राज्य में कुल 4,92,176 बच्चे कुपोषित मिले हैं। बिलासपुर में कुपोषण का आंकड़ा सर्वाधिक रहा वहां 35 हजार से अधिक कुपोषित बच्चे मिले है। इनमें 102 विशेष संरक्षित पहाड़ी कोरवा के बच्चे भी शामिल है हाला की जनसंख्या की तुलना में कुपोषित बच्चों का औसत राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में अधिक है।वजन त्यौहार के आधार पर तैयार कुपोषण की रिपोर्ट के अनुसार बिलासपुर के बाद सर्वाधिक 32000 कुपोषित बच्चे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के निर्वाचन क्षेत्रों से प्राप्त हुए हैं।
कुपोषण की दर छत्तीसगढ़ में 38फीसदी है जबकि आदिवासी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 44 फीस दी है महिला बाल विकास विभाग के अनुसार इसकी एक बड़ी वजह यह है कि वनांचल क्षेत्रों में सरकार की योजना आज भी पहुंच नहीं पा रही है।
भारत में होने वाले बच्चों की मौत के दो तिहाई का कारण है कुपोषण
एक सर्वे से पता चला है कि भारत में होने वाले बच्चों की मौत के दो तिहाई का कारण कुपोषण है रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न राज्यों की स्तर पर बच्चों में कुपोषण के कारण विकलांगता समायोजित जीवन की दर अलग-अलग है यह दर सभी राज्यों में अलग-अलग है।
कुपोषण को खत्म करने के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजना
कुपोषण को खत्म करने के लिए राज्य सरकार द्वारा कई प्रकार की योजना चलाई जा रही है जो इस प्रकार से है सुपोषण चौपाल- इसके माध्यम से गर्भवती महिला और नवजात शिशु की माता को जागरूक करने की कोशिश की जा रही है। महतारी जतन योजना- इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार दिया जाता है साथ ही उन्हीं के सेहत के प्रति जागरूक किया जाता है।
वजन त्यौहार- इस योजना के तहत बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में वजन कराया जाता है और कुपोषण की जांच की जाती है। मुख्यमंत्री अमृत योजना- आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों 3 से 6 वर्ष तक को सप्ताह में 1 दिन 100ml मीठा दूध दिया जाता है। पूरक पोषण आहार कार्यक्रम- इसके तहत सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के अलावा गर्भवती व शिशु वती माताओं को पूरक पोषण आहार दिया जाता है।
राष्ट्रीय पोषण मिशन 2022 के लक्ष्य
जन्म के समय कम वजन में वर्ष 2017 से 2022 तक प्रति वर्ष 2% की कमी लाना 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों तथा 15 से 49 वर्ष की महिलाओं में विद्यमान एनीमिया के स्तर में 3% तक कमी लाना प्रथम चरण में 12 जिलों को शामिल किया गया और दो हजार अट्ठारह उन्नीस में बाकी बचे 15 जिलों को भी शामिल कर दिया गया।
हालांकि पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में कुपोषण की स्थिति बदलती है लेकिन राज्य में अभी भी कुपोषण की स्थिति चिंताजनक है जिस पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार को गंभीरता से काम करना होगा।
नीति आयोग ने कहा है केंद्र सरकार व राज्य सरकार दोनों मिलकर कुपोषण की स्तर को कम करने का प्रयास कर रही है आज छत्तीसगढ़ देश के विभिन्न राज्यों के बीच कुपोषण की स्थिति में व्यापक भी नेता विद्यमान है इसलिए महत्वपूर्ण है कि कुपोषण में कमी की योजना ऐसे तरीके से बनाई जाए प्रत्येक राज्य की कुपोषण की स्थिति के लिए उपयुक्त हो।
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