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नशा

     नशा 





लेखक -पुष्पेन्द्र कुमार कश्यप सक्ती


एक गांव में वृद्ध किसान रहता था वह अपने परिवार में पत्नी व बच्चों के साथ बहुत खुश थे। बालक का नाम राम था, किसान पढ़ा लिखा नहीं था पर वे अपने पुत्र राम को अच्छी शिक्षा दे रहे थे। देखते ही देखते बालक राम 12वीं की परीक्षा अच्छे नंबरों के साथ उत्तीर्ण कर लिया अब वह पढ़ाई हेतु शहर चले गए ,शहर में  वे अच्छा से पढ़ाई कर रहा था। राम के दोस्तों का दायरा बढ़ा देखते ही देखते वे दोस्तों के बीच घुल मिल गए और दोस्तों के साथ नशा में लिप्त हो गए इधर राम के पालक अपने बच्चों को लेकर बहुत खुश थे कि वह शहर में अच्छा से पढ़ाई कर रहा है। राम रोजाना अपने दोस्तों के साथ क्लब जाना, शराब ,धूम्रपान आदि के लिप्त हो गए। बालक राम अपने घर से झूठ बोलकर अधिक पैसा ले जाया करता था ।राम के पिता अशिक्षित होने के कारण समझ नहीं पा रहे थे। दो वर्ष हो चुका था राम को नशा में लिप्त हुए ,एक दिन अचानक राम का तबियत बिगडा उसे शहर में ही बड़े अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। इलाज के दरमियान उनके माता-पिता को डॉक्टर द्वारा बताया गया की राम का किडनी पेनक्रियाज खराब हो चुका है और इन सब का कारण नशा  है। राम के माता-पिता को जानकर बड़ा ही अचरज हुआ वह बहुत दुखी थे और अपने गांव के जमा पूंजी खेत को बेचकर अपने पुत्र का इलाज करवाया राम धीरे-धीरे ठीक होते गया और अपने गलती का एहसास हुआ। राम अपने माता-पिता से माफी मांगा और आज के बाद नशा न करने की वचन दिया। राम अपने गलती को स्वीकार कर  अच्छा से पढ़ाई  किया और  पूरे कॉलेज में टॉप किया ।माता पिता पहले की तरह बहुत खुश थे आज उनका पुत्र पढ़ लिख कर उच्च पद पर आसीन है। 

शिक्षा - इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलता है कि हमें  कभी नशा नहीं करना चाहिए नशा न केवल हमारे शरीर का नाश करता है बल्कि परिवार, समाज का भी नाश कर देता है।




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