*परिश्रम का फल*
पुष्पेंद्र कुमार कश्यप
सहायक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक शाला सकरेली बा
एक गांव में दिलहरण नाम का एक शिक्षक था। वे घर से निर्धन तथा एक प्राइवेट स्कूल में हायर सेकेंडरी तक गणित विषय पढ़ाता था। शिक्षक ने गांव में शिक्षा का प्रचार प्रसार व शिक्षा के महत्व को बढ़ाने के लिए निःशुल्क कोचिंग प्रारंभ किया । वे गांव के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देते थे। एक वर्ष बाद उन्हें गांव छोड़कर किसी कारण बस अपने मूल ग्राम जाना पड़ा।
कुछ समय बाद उसके द्वारा पढ़ाए गए बच्चे उच्च पद पर आसीन हुए और बहुत से बच्चे शासकीय अध्यापक बने जिनमें से एक बच्चा शासकीय अध्यापक बनके गांव के निर्धन बच्चों को निशुल्क कोचिंग सेवा अपने गुरु दिल हरण से प्रभावित होकर प्रारंभ किया। देखते ही देखते गांव में शिक्षा का स्तर में सुधार हुआ। गांव के लोगों को शिक्षा का महत्व पता चला।
कुछ वर्षों बाद जब दिल हरण शिक्षक द्वारा पुनः गांव में आगमन हुआ तो उस शिक्षा का स्तर में सुधार देखकर,उनके द्वारा पढ़ाए गए बच्चों को उच्च पद पर आसीन देखकर मन प्रफुल्लित हो उठा।और उन्हें परिश्रम का फल सामने स्पष्ट दिखाई दे रहा था।
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