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बच्चों ने किया छत्तीसगढ़ के पहले किसान स्कूल का शैक्षिक भ्रमण*

 *बच्चों ने किया शैक्षिक भ्रमण*

 अनुभव आधारित शिक्षण शासन की एक विशिष्ट शिक्षण प्रणाली है, जिसमें विद्यार्थी स्वयं करके अनुभव से सीखते है जिससे उनका सर्वांगीण विकास होता है।शासन की इसी मंशा के अनुरूप शासकीय प्राथमिक विद्यालय ,माध्यमिक विद्यालय एवं हाई स्कूल सकरेली बाराद्वार के संयुक्त टीम ने योजना बद्ध कार्य करते हुए छत्तीसगढ़ के प्रथम किसान स्कूल बहेराड़ीह का शैक्षिक भ्रमण किया ।जहा राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किसान दीनदयाल यादव जी द्वारा कृषि के क्षेत्र में किए जा रहे विभिन्न प्रयोगों के बारे में विस्तृत जानकारी ली गई।चर्चा के दौरान प्रत्यक्ष रूप से दीनदयाल द्वारा अपने घर में किए जा रहे मशरूम उत्पादन के बारे में विस्तृत जानकारी ली गई साथ ही सभी बच्चों और शिक्षकों ने छत्तीसगढ़ की छत्तीस भाजी का संकलन, जैविक खाद का निर्माण , जीवामृत का निर्माण और उसका कृषि बागवानी में उपयोग , बायोगैस संयंत्र, घर की छत का उपयोग बागवानी के रूप में कैसे किया जा सकता है, बागवानी के लिए मिट्टी तैयार करने की विधि , विभिन्न प्रकार के औषधि पौधे , धान के देशी किस्में का उत्पादन और संग्रहण, केला के पौधे से रेशा तैयार करने की विधि और कम्पोस्ट खाद का निर्माण आदि के बारे में कृषक बंधु दीनदयाल द्वारा बच्चों और शिक्षकों को बताया गया ।

शिक्षकों और विद्यार्थियों द्वारा यह भी जाना गया कि कम से कम जगह में भी हम अधिक से अधिक आय के साधन निर्मित कर सकते है। ज्ञात हो कि कृषक दीनदयाल यादव रोग मुक्त और जैविक खेती को बढ़ावा देने के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है ,जिसके लिए न केवल छत्तीसगढ़ शासन अपितु राष्ट्रीय स्तर पर भी वे अनेकों बार सम्मानित हो चुके है ।

भ्रमण कार्यक्रम के अंतिम चरण में समस्त विद्यार्थियों और शिक्षकों ने छत्तीसगढ़ी नाश्ता मुर्रा और गुड़ के चाय के आनंद और  प्राप्त ज्ञान 

के साथ संध्या बेला में  अपने निवास की  ओर संतुष्टि के साथ लौटे ।इस प्रकार से भ्रमण का यह कार्यक्रम निश्चित ही बच्चों को रोजगारोन्मुख और वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करने वाला ,सार्थक रहा।

इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से पुष्पेंद्र कश्यप, व्याख्याता अकलेश नवलाकर ,

 नागेन्द्र केशरी , सुरेश श्रीवास, प्रधान पाठक जगदीश प्रसाद साहू , वेद प्रकाश दिवाकर ,उसत राम साहू , प्रदीप पंकज सीमा राठौर ,सतीश राठौर तथा समस्त विद्यालय परिवार के  शिक्षकों का विशेष योगदान रहा।







पौधो के साथ पिक्चर


छत्तीसगढ़ के पहले किसान स्कूल का भ्रमण करते शिक्षक और बच्चे

छत  छत पर उगाए पौधो का आकलन करते शिक्षक





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