शैक्षणिक जिला शक्ति में पढ़ना लिखना अभियान के तहत स्वयंसेवी शिक्षकों को दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया
कोविड संक्रमण के प्रभाव में लम्बे अरसे सूने पडे स्कूल कॉलेजों के बाद 24 से 25 मार्च ऑनलाइन पढ़ना लिखना अभियान स्वयंसेवी शिक्षक का प्रशिक्षण का आयोजन दो दिवसीय दिया गया आज शासकीय अवकाश के बाद भी गूंजते गीत , खेल- खेल में शिक्षा देने के रोचक तरीकों से जुडी विविध आवाजों ने न केवल सन्नाटे को तोडा अपितु इस रचनात्मक हलचल ने बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा ।
कोविड के कारण यह प्रशिक्षण ऑफलाइन संचालित नहीं हो सका लेकिन फिर भी स्वयंसेवी शिक्षकों ने ऑनलाइन पद्धति से बढ़-चढ़कर सत प्रतिशत स्वयंसेवी शिक्षकों ने प्रशिक्षण का लाभ उठया। प्रशिक्षण के प्रथम दिवस में पुष्पेंद्र कुमार कश्यप द्वारा राजकीय गीत के साथ ऑनलाइन प्रशिक्षण का प्रारंभ किया गया इस प्रशिक्षण में स्वयंसेवी शिक्षकों को स्वयंसेवी शिक्षकों का महत्व ,साक्षरता केंद्र ,साक्षरता केंद्र का बाहरी और आंतरिक सजावट कैसा हो, आसाक्षरों को साक्षरता केंद्र तक कैसे लाया जाए, साक्षरता केंद्र का समय कैसा हो, पढ़ना लिखना अभियान का परिचय, वातावरण निर्माण, स्वयंसेवी शिक्षकों की भूमिका, डिजिटल माध्यम का कैसे उपयोग किया जाए, पढ़ना लिखना अभियान में नवाचारी गतिविधियों का समावेश कैसा किया जाए तथा कक्षा का संचालन कैसा हो, साक्षरता केंद्र का रखरखाव कैसा हो इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा किया गया और स्वयंसेवी शिक्षकों से उनके रायों के बारे में जानकारी लिया गया। उसी प्रकार दूसरे दिवस में प्रशिक्षण का प्रारंभ पुष्पेंद्र कुमार कश्यप द्वारा राजकीय गीत के साथ किया गया उसके उपरांत पूर्व दिवस की गतिविधियों का स्मरण किया गया फिर प्रौं ढ का समझना सीखने की अवधारणा एवं शिक्षण पद्धति प्रवेशिका का परिचय, पठन-पाठन, गतिविधियां ,पठन-पाठन लिखना आदि पर चर्चा किया गया । उसके उपरांत नीरा साहू द्वारा आंतरिक मूल्यांकन कैसा हो पठन-पाठन में लिखना पढ़ना आदि पर चर्चा किया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में विकासखंड परियोजना अधिकारी नीलिमा बड़गे, शिवशंकर यादव , पुष्पेंद्र कुमार कश्यप नीरा साहू ने विविध विषयों पर बहुत रोचक ढंग से स्वसेवी शिक्षकों को आवश्यक परिस्थितियों के अनुकूल ढलते हुये कैसे विषम स्थित में साक्षर बनाया जा सकता है इसके विविध पहलुओं से अवगत कराया तथा इस कार्यक्रम का तकनीकी सहयोग के रूप में शिवशंकर यादव ने विशेष भूमिका निभाया तथा स्वयंसेवी शिक्षकों को दो शब्द कह कर संबोधित किया गया।
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