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मातृभाषा में शिक्षा के क्या मायने हैं? परिचय

 मातृभाषा में शिक्षा के क्या मायने हैं?

परिचय

आज अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस है। प्रतिवर्ष 21 फरवरी अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य भाषायी और सांस्कृतिक विविधता व बहुभाषिकता को पूरी दुनिया में बढ़ावा देना है। वर्ष 1952 में अपनी मातृभाषा के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए किए गए आंदोलन के दौरान शहीद हुए युवाओं की स्मृति में यूनेस्को ने वर्ष 1999 में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।



पिछले दशकों में प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कई प्रयासों से स्कूलों में विशेष रूप से आदिवासी बहुल्य क्षेत्रों में बच्चों की दर्ज संख्या में काफी वृद्धि हुई है। परन्तु इन बच्चों को अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के लिए स्कूलों से लगातार जोड़े रखना हमेशा से ही एक चुनौती रही है। विशेषज्ञों ने स्कूलों में इन बच्चों के ठहराव और अकादमिक उपलब्धि में कमी के लिए पहचाने गए कई कारणों में से एक मुख्य कारण कक्षा में उपयोग की जाने वाली भाषा को माना है। 

अधिकांशत: स्कूलों में बच्चों को राज्य की आधिकारिक भाषा में ही शिक्षा दी जाती है। यह आदिवासी बच्चों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है जिनकी मातृभाषा इस आधिकारिक भाषा से अलग होती है। पाठ्यपुस्तकों के संदर्भ भी इन बच्चों के लिए अनजान होते हैं, इस कारण ये बच्चे कक्षा की गतिविधियों से पूरी तरह से जुड़ नहीं पाते हैं। इसका सीधा प्रभाव बच्चों के ठहराव और सीखने के प्रतिफलों की उपलब्धि पर पड़ता है। साथ ही साथ उपयुक्त शिक्षक प्रशिक्षण, उचित सामग्री की कमी शिक्षकों को विविधता से भरे कक्षा के वातावरण में शिक्षण के लिए चुनौती प्रस्तुत करते हैं। शिक्षकों में इन बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक कक्षाओं में प्रभावी रूप से कार्य करने की क्षमता की कमी होती है।   

कक्षा में मातृभाषा

मातृभाषा या परिचित भाषा में प्रारंभिक शिक्षा देना बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस प्रकार की शिक्षा से बच्चों की शैक्षणिक नींव मजबूत होती है और इसे अन्य भाषाओं में दक्षता प्राप्त करने की सबसे प्रभावी रणानीति माना गया है। मातृभाषा पर आधारित बहुभाषी शिक्षा में स्कूली शिक्षा की शुरुआत बच्चे की अपनी मातृभाषा या परिचित भाषा में होती है और धीरे-धीरे उसे अन्य भाषाओं की ओर लेकर जाया जाता है। जिस भाषा को बच्चे अच्छी तरह से जानते हैं उस भाषा में प्रारंभिक शिक्षा देने से बच्चों की संस्कृति, अनुभवों और ज्ञान का उपयोग कक्षा में होता है, यह उनमें आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को बढ़ावा देता है। 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020

कक्षा में उपयोग की जाने वाली भाषा शिक्षा में समता और गुणवत्ता को प्रभावित करती है, इसे स्वीकारते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 इस बात की अनुसंशा करती है कि “जहाँ तक संभव हो, कम से कम कक्षा-5 तक लेकिन बेहतर यह होगा कि यह कक्षा-8 और उससे आगे भी हो, शिक्षा का माध्यम घर की भाषा / मातृभाषा / स्थानीय भाषा / क्षेत्रीय भाषा होगी। इसके बाद, घर / स्थानीय भाषा को जहाँ भी संभव हो भाषा के रूप में पढ़ाया जाता रहेगा। 


बहुभाषी शिक्षा के उद्देश्य

बच्चों के लिए समतामूलक और गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करना।

परिचित या मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत करते हुए बच्चों में राज्य और अंतर्राष्ट्रीय भाषा में पढ़ने, लिखने और गणितीय कौशलों का विकास करना।

संस्कृति और भाषा के प्रति सम्मान विकसित करना।

ऐसी लोकतांत्रिक भावनाओं का विकास करना जो राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाए।

समुदाय की भागीदारी

बहुभाषी शिक्षा की निरंतरता को बनाए रखने में समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। शिक्षा में स्थानीय भाषा के उपयोग के प्रति समुदाय की जागरूकता और उनके पास उपलब्ध भाषायी संसाधनो का कक्षाओं में उपयोग बहुभाषी शिक्षा को मजबूती प्रदान करता है। समुदाय के सदस्य स्थानीय कहानियों, कविताओं / गीत, स्थानीय खेल, पहेलियों, मुहावरों आदि के संकलन में मदद करके कक्षा में उनके उपयोग से बच्चों के शैक्षिक कौशलों के विकास में मदद कर उनके शैक्षिक कार्यों में शामिल हो सकते हैं। समुदाय की मदद से स्कूलों में संग्रहालयों की स्थापना की जा सकती है जहाँ स्थानीय संस्कृति और विलुप्त हो रही वस्तुओं को रख कर उनका संरक्षण किया जा सकता है। इस प्रकार के संग्रहालय बच्चों को मूर्त वस्तुओं की मदद से विषयों की अवधारणाएँ समझाने में मदद करते हैं। 

बहुभाषी शिक्षा के लाभ

बहुभाषी शिक्षा के संज्ञानात्मक, शैक्षणिक और सामाजिक सांस्कृतिक क्षेत्रों में बहुत से लाभ हैं। यह सामाजिक सामंजस्य को बनाने और सामुदायिक विकास के एक उपकरण के रूप में कार्य करता है। इस प्रकार की शिक्षा बच्चों को आत्मविश्वास और सहजता के साथ परस्पर जुड़ी हुई दुनिया की कठिनाइयों को कुशलता पूर्वक समझने में सफल बनाती है। बहुभाषी शिक्षा के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:

समतामूलक शिक्षा

बहुभाषी शिक्षा यह सुनिश्चित करती है कि सभी बच्चों को उनकी आवश्यकता के अनुसार शिक्षा तक एक जैसी पहुँच मिल सके। सभी बच्चे कक्षा की गतिविधियों में शामिल हो सकें चाहे उनकी परिचित भाषा कोई भी हो। यह भाषायी बाधा दूर करता है और सीखने के लिए समतामूलक वातवरण का निर्माण करता है।  

संज्ञानात्मक विकास

दो या अधिक भाषाएँ समझने और बोलने वाले बच्चों में केवल एक भाषा बोलने वाले बच्चों की तुलना में बेहतर संज्ञानात्मक क्षमताएँ होती हैं। नई भाषा सीखने से मस्तिष्क सक्रिय होता और उसके संज्ञानात्मक कार्य बेहतर होते हैं। बहुभाषी बच्चों की समस्या समाधान करने की क्षमता, चिंतन क्षमता, रचनात्मकता अन्य बच्चों से बेहतर होती हैं। 

अकादमिक उपलब्धि

बहुभाषिकता और अकादमिक उपलब्धि के बीच एक सकारात्मक संबंध होता है। बहुभाषी परिस्थिति में बच्चे भाषा की कठिन अवधारणाएँ तेजी से और बेहतर रूप से सीखते हैं, इससे उनके अकादमिक परिणामों में सुधार होता है।

सांस्कृतिक जागरूकता

बहुभाषी शिक्षा सांस्कृतिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देती है और लोगों को अलग-अलग संस्कृतियों और परिप्रेक्ष्य समझने और उनका सम्मान करने में मदद करती है। बहुसांस्कृतिक परिस्थितियों में बहुभाषिक बच्चे अधिक प्रभावी रूप से अपनी बातों को व्यक्त कर पाते हैं।

बहुभाषी शिक्षा से जुड़ी चुनौतियाँ

जहाँ एक ओर बहुभाषी शिक्षा के अकादमिक और सांस्कृतिक व सामाजिक लाभ हैं, वहीं दूसरी ओर इसे लागू करने में कुछ चुनौतियों का भी सामना करना होता है। बहुभाषी शिक्षा के क्रियांवयन के लिए प्रारंभ में बहुत से संसाधन बच्चों की भाषा में उपलब्ध कराए जाते हैं, समय पर इनकी उपलब्धता और इन्हें बनाने में लगने वाला समय और लागत चुनौतीपूर्ण होती है। इसके अतिरिक्त बच्चों की संस्कृति और भाषा बोलने व समझने वाले शिक्षकों की उपलब्धता इस कार्यक्रम की सफलता के लिए एक जरूरी शर्त है। इसके साथ ही बहुभाषी शिक्षा के प्रति सामुदायिक जागरूकता और बच्चों की शिक्षा से उनका जुड़ाव बहुभाषी शिक्षा कार्यक्रम की निरंतरता के लिए आवश्यक है। 

निषकर्ष

बहुभाषी शिक्षा भाषायी विविधता, अंतर-सांस्कृतिक संवाद, सामाजिक समावेशन और बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने का प्रभावी तरीका है। इससे बच्चों, शिक्षकों, अलग-अलग भाषायी समुदायों और समाज के लिए संज्ञानात्मक और सामाजिक-सांस्कृतिक दोनों प्रकार के लाभ हैं। 

हमारे देश की भाषायी विविधता को देखते हुए बहुभाषी शिक्षा कार्यक्रम का क्रियांवयन चुनौतीपूर्ण हो सकता है। फिर भी, शिक्षा में कई भाषाओं के उपयोग के महत्व को पहचानना और शिक्षा प्रणाली के सभी स्तरों पर इसे बढ़ावा देना आवश्यक है। कार्यक्रम के सफल क्रियांवयन को सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों में शिक्षकों को पर्याप्त संसाधन, सहयोग और प्रशिक्षण दिया जाना भी महत्वपूर्ण है।

हम जैसे-जैसे इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करने, भाषायी विविधता और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के लिए बहुभाषी शिक्षा के विभिन्न तरीकों की पहचान करना और उनका उपयोग स्कूलों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए करना महत्वपूर्ण होता है। बहुभाषी शिक्षा का सही उपयोग समावेशी और समतामूलक शिक्षा देने में मदद कर सकता है। इस प्रकार की शिक्षा बच्चों और समाज को लाभान्वित करती है।

संजय गुलाटी

9827113696

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