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छत्तीसगढ़ के जनजाति से संबंधित सामान्य ज्ञान

 

छत्तीसगढ़ के जनजाति से संबंधित सामान्य ज्ञान


बस्तर अंचल की बोली -गोड़ी ,दोरली, भरतरी ,परजी , हल्बी

बस्तर अंचल के मुख्य संपर्क बोली हल्बी

उराव जनजाति की बोली कुरूख 

कोंध जनजाति की बोली कोई

 जसपुर क्षेत्र की बोली सदरी

छत्तीसगढ़ में 42 प्रकार के जनजाति पाई जाती है जिसकी 161 उपजातियां है जिसमें सर्वाधिक गोड समुदाय की 41 उपजाति है। 

जनजाति समाज में गढ़ चिन्ह का विशेष महत्व है। 

जनजाति समाज अनेक गढ़ चिन्हों गोत्रों में बटा होता है। जिसका विभाजन देवताओं के आधार पर किया जाता है। 

जनजाति अपना उद्गम टोटम नामक विशिष्ट तत्व को मानते हैं।

छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजाति गोंड

 छत्तीसगढ़ की जनजातियों में सबसे बड़ा समूह गोंड

 बस्तर को जनजातियों की भूमि कहा जाता है ।

छत्तीसगढ़ में जनजातीय अनुसंधान केंद्र रायपुर में स्थापित है।

भारतीय संविधान के अनुसूची 5 की धारा 20 में छत्तीसगढ़ राज्य की 42 जनजातिया सूचीबद्ध है।


जनजातियों के देवी देवता

उरांव  -सरना देवी ,धर्मेश 

बैगा - बूढ़ादेव 

भतरा - शिकार देवी 

बिझवार  -विंध्यवासिनी

 कमार - छोटे माई, बड़े माई 

मुडिया - अंगादेव 

कोरबा -खुड़िया रानी

 कंवर -सगराखंड

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